अर्नव गोस्वामी यानी पत्रकार जगत का वो नाम जो सीधे सीधे सवाल पूछता हे ,भले ही भाषा कठोर हो सकती हे पर सवाल उठाना तो जायज ही हे ,जव आप सार्वजनिक जीवन मे राजनीति के माध्यम से मलाई खाते हुये भेदभाव करेंगे तो सवाल तो उठेंगें ही ,जव आप एक विशेष वर्ग के लिए आंसू बहाते है,ओर दूसरे वर्ग के लिए आपके शव्द सूख जाते हैं , सवाल तो उठेंगें ही । जव आप भगवा आंतकवाद की थ्योरी लिखते हे ओर राम सेतु तोडने का षड्यंत्र रचते है ,सवाल तो उठेंगें ही।

आज हिन्दू समाज आहत है जव एक ओर मस्जिदों मदरसों से निकलने बाले तबलीगी जमाती पूरे देश मे कोरोना फैलाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहा हे वहीं दूसरी ओर हिंदू मंदिर इस संकट के दोर से निपटने के लिए अपने यहां आये दान को राष्ट्रीय आपादा मे लगा रहा हे ऐसेंं मे उसी के संतो की हत्या करना ओर उन लोगों का नहीं बोलना जो किसी वर्ग विशेष के पैरोकार वनकर खडे हो जाते है, तो निष्चित ही इस तरह के प्रश्न उठेंगें ओर प्रश्न उठाने बाले पर आप हमला करे इसे कहीं से भी सही नहीं ठहराया जा सकता।
यह पहला अवसर नहीं हे जो हिंदू समाज इस तरह के भेदभाव को सहन कर रहा हे ,आदि गुरु शंकराचार्य से लेकर कितने ही संत बर्षों से सिकार होते आ रहे हे ओर जव जिसने बोलने का प्रयास किया य तो उसे मरवा दिया य फिर किसी षड्यंत्र मे फसा दिया ।पर अव हिंदू भी जागने लगा हे ओर प्रतिकार भी करने लगा है इसलिए अव लोगों को तकलीफ भी शुरू हो गई।
खैर अर्नव गोस्वामी ने जो सवाल उठाए है वो हर भारतीय के सवाल है किसी को मंच मिल जाता है कोई चुपचाप अपने मन मे रखकर सहन करते रहते हे ,