धार्मिक कट्टरता किसी भी मजहब को पोषित नहीं कर सकती, धार्मिक कट्टरता समाज का विकास नहीं कर सकती, धार्मिक कट्टरता मानवता की रक्षा नहीं कर सकती। जब-जब भी धार्मिक कट्टरता का उदय हुआ है तब-तब मानवता ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। भारत का इतिहास इससे पटा पढ़ा है, वो अलग बात है भारतीय संस्कृति क्षमा की संस्कृति है इसलिए उन घटनाओं को याद भी नहीं करना चाहते।
जिस तरह से इस्लामिक देशों का सपना देखने वाले आतंकवादी संगठन आईएसआईएसआई हों या इंडियन मुजाहिदीन हों, सिमी हों, लश्कर ए ताईबा हों ऐसे तमाम संगठन जो दुनिया को इस्लामिक देश बनाने का सपना संझोकर इस्लाम को एक कट्टारता के रूप में प्रदर्शित करते हुए मानवता को खतरा बने हुए हैं। उनकी धार्मिक कट्टरता न तो उनकी ही समाज का उत्थान कर पा रही है और न ही किसी अन्य मानवीय पहलुओं की रक्षा कर पा रही है। उल्टे इसके इस्लाम को लेकर दुनिया भर में एक नकारात्मक माहौल जरूर तैयार कर रही है। जिस तरह से ईराक में आईएसआईएसआई के लड़ाकों द्वारा निर्दोष और वेवश लोगों का कत्लेआम किया जा रहा है उससे वह कौन से धर्म का परिचय दे रहे हैं। क्या इस्लामिक राष्ट्र बनने से मानवता की रक्षा हो सकती है, क्या इस्लामिक राष्ट्र बनने से समाज का उत्थान हो सकता है, क्या इस्लामिक राष्ट्र बनने से समाज प्रगति की राह पर चल सकता है। ऐसे कई प्रश्न उन लोगों के लिए खड़े हैं जो इस्लामिक राष्ट्र बनाने का सपना देख रहे हैं।
भारत के संदर्भ में यदि बात करें तो जिस तरह से आईएसआईएसआई के आतंकी ईराक व उसके आस-पास जो कत्लेआम कर रहे हैं, ऐसा दौर कभी भारत ने भी झेला है। इतिहास गबाह है कि भारत के न जाने कितने लोगों को जबरिया धमांत्रण कराया गया, भारत की संस्कृति सभ्यता को रौंदा गया, भारत के मंदिरों को तोड़ा गया ऐसी कई क्रूर घटनाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। उस समय भी मानवता खतरे में थी पर वह इतिहास की बातें हैं यहां तो वर्तमान में जिस तरह से आतंकवादियों द्वारा मानवता की हत्या की जा रही है उससे आने वाली पीढिय़ां कई वर्षों तक इस दंश को भूल नहीं पाएगीं। एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या इस्लाम इसकी इजाजत देता है और यदि नहीं देता तो इस तरह की कार्यवाही को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ इस्लामिक धर्मगुरू मौन क्यों बैठे हैं। जब डेनमार्क में किसी काटूर्निस्ट ने इस्लाम के धर्मगुरू का चित्र बना दिया था तो उस पर पूरी दुनिया में रैलियां निकाल कर विरोध दर्ज कराया गया था। पर यहां तो सरेआम सैकड़ों निर्दोष लोगों को कत्लेआम किया जा रहा है, जिंदा दफनाया जा रहा है और उनके फोटो सॉसल साईट पर भेजे जा रहे हैं इससे इस्लाम का कौनसा रूप सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। निश्चित ही यह मानवता के लिए बहुत बड़ा खतरा है और इस्लाम का क्रूर चेहरा सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है।