Wednesday, September 24

सैटिंग बाजी के चलते विश्वास खोते जा रहे हैं बासौदा के नेता

Indian-politiciansगंजबासौदा। बासौदा की राजनीति सिद्धांतों से हटकर सैटिंग में तबदील हो गई है। कभी विचारधारा की राजनीति हुआ करती थी और लोग भी विचाधाराओं के तहत ही राजनैतिक पार्टियों का चयन किया करते थे पर सत्ता की लोलुपता ने सिद्धांतों और आचरणों को तिलांजली दे दी और सैटिंग की राजनीति में विश्वास जमाना शुरू कर दिया। अब यह पता ही नहीं चल पाता कि कौन सा नेता किस विचारधारा का है और यह किससे सेट है। पार्टियों की बंदिशें खत्म सी हो गई हैं। वह तो सिर्फ वोट मांगने का जरिया बन कर रह गईं हैं।
आज बासौदा में सैकड़ों की तादात में छुटभैया नेताओं से लेकर बड़े नेता तक हैं, पर वह जनता के बीच विश्वास कायम रखने में सफल नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि जिस विचारधारा और जिस पीढ़ा के कारण नेताजी पर विश्वास किया जाता है पर वह नेता उसी विचारधारा और पीढ़ा देने वाले के साथ खड़े दिखाई देते हैं। पार्टियों का भेद मानो खत्म सा हो गया है, सत्ता और विपक्ष एक ही घाट पर पानी पीते नजर आ रहे हैं। दूसरी तरफ सत्ता पाने की लालसा में कई नेता झटपटा रहे हैं पर जनता उन नेताओं पर विश्वास नहीं कर पा रही है। ऐसे कई मामले जनता के सामने हैं जब जिन लोगों ने रासूका में कई निदोर्षों को जेल पहुंचाया नेताजी उन्हीं के यहां बलीमा खाते नजर आए और कोई सत्त्ता की चौखट से मुफ्त की हवाई यात्रा करता नजर आ रहा है। राजनीति का गिरता स्तर और नेताओं की सत्ता लोलुप्ता से बासौदा के लोग अपने आपको ठगासा महसूस करते हैं। उनके सामने कोई चरित्रवान नेता दिखाई नहीं दे रहा है जो बासौदा के विकास और उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सके और स्वच्छ राजनीति के मूल्यों को जिंदा रख सके।