Thursday, September 25

देश में गहरा सकता है बिजली संकट, बिजली घरों में हफ्तेभर का भी कोयला नहीं

6523_power-stations_2नईदिल्ली। ताप बिजलीघरों में कोयले की उपलब्धता का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। देश के आधे से ज्यादा बिजली घरों में एक हफ्ते से भी कम का कोयला बचा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नवीनतम डाटा के मुताबिक कोयला आधारित 56 बिजली घरों में सात दिन से भी कम का कोयला है। इनमें से 33 संयंत्रों में बमुश्किल चार दिन का कोयला बचा है। इन 33 संयंत्रों में से 10 देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी के हैं। यही नहीं, उक्त तारीख को 11 बिजली घरों में तो एक दिन का भी कोयला नहीं बचा था। कोयले की कमी से जूझ रहे एनटीपीसी के प्लांट हरियाणा का इंदिरा गांधी थर्मल प्लांट, यूपी के रिहंद, सिंगरौली, टांडा और उचाहार प्लांट, छत्तीसगढ़ के कोरबा और सीपत प्लांट, पश्चिम बंगाल के फरक्का और दुर्गापुर प्लांट और बिहार का कहलगांव थर्मल प्लांट। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक ईस्टर्न कोलफील्ड्स भारत कोकिंग कोल और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिडेट में त्योहारों के बाद ही कोयले का उत्पादन बढऩे के आसार हैं। सीईए के अनुसार, एनटीपीसी के इन सभी प्लांटों और बिना कोयला वाले 11 प्लांटों को कोल इंडिया की तरफ से कम सप्लाई हुई है। बिजली और कोयला दोनों मंत्रालयों का प्रभार पीयूष गोयल के पास है। इसके बावजूद हालात सुधर नहीं पा रहे हैं। गोयल ने कुछ दिनों पहले कहा था कि रेलवे द्वारा कम वैगन दिए जाने के कारण कोयले की सप्लाई बाधित हो रही है। उपलब्धता बढ़ाएगा कोयला मंत्रालय कोयलामंत्रालय ने कहा है कि बिजली संयंत्रों का संकट दूर करने के लिए वह कोयले की उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश करेगा। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 214 कोल ब्लॉक रद्दे करने के फैसले का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि इससे स्थिति साफ हुई है। रद्द हुए ब्लॉकों का जल्दी ही दोबारा आवंटन किया जाएगा।