Tuesday, September 23

विदेशों में सस्ता है सोना, जानिए आपको क्यों नहीं मिलता सस्ता सोना

8952_1नईदिल्ली। आपने अक्सर सुना होगा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमतें गिरी हैं, तो भारतीय बाजार में भी इसकी कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी। लेकिन, ऐसा नहीं होता। हालांकि ये बात सही है कि अंरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें गिरने से भारतीय बाजार में भी सोने की कीमतें गिरती हैं, लेकिन यह देखा गया है कि अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में गिरावट की तुलना में भारतीय बाजार में गिरावट काफी कम रही है।
दो साल में इतनी गिरीं कीमतें
अन्तरराष्ट्रीय बाजार में सितंबर 2012 में सोने की कीमतें 1771 डॉलर प्रति औंस (34848 रूपए प्रति दस ग्राम) थीं, जबकि भारत में एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 31201 रूपए प्रति दस ग्राम थीं। वहीं दूसरी ओर सितंबर 2014 में अन्तरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें 1209 डॉलर प्रति औंस(23790 रूपए प्रति दस ग्राम) हैं रूपए प्रति दस ग्राम है, जबकि भारत में एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 26500 रूपए प्रति दस ग्राम है। इसके हिसाब से देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में सिर्फ 2 साल में 562 डॉलर प्रति औंस (11058 रूपए प्रति दस ग्राम) की गिरावट आई है, जबकि भारतीय बाजार में एमसीएक्स पर सोने की कीमतों में सिर्फ 4692 रूपए प्रति दस ग्राम की गिरावट देखी गई। ऐसे में यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में 6366 रूपए प्रति दस ग्राम कम है।

क्यों है ये अंतर: अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट की तुलना में भारतीय बाजार में एमसीएक्स पर सोने की कीमतें बहुत ही कम गिरने के मुख्य रू से 4 कारण हैं।
डॉलर के मुकाबले रूपए की कीमतों में कमजोरी: 1 सितंबर 2012 के मुकाबले 1 सितंबर 2014 में रूपए में डॉलर के मुकाबले 8.5 रूपए की कमजोरी देखी गई है। 1 सितंबर 2012 में 1 डॉलर की कीमत 52.85 रूपए थी, जबकि 1 सितंबर 2014 को 1 डॉलर 61.35 रूपए के बराबर आ गया। ऐसे में भारत की करंसी रूपए की डॉलर के मुकाबले कमजोर होना भारत में सोना सस्ता नहीं होने का एक कारण है।
इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोत्तरी: 1 सितंबर 2012 में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी सिर्फ 2 प्रतिशत थी, लेकिन 1 सितंबर 2014 तक यह बढ़कर 10 प्रतिशत हो चुकी है। भारत सरकार ने अपना करंट अकाउंट डेफिसिट कम करने के लिए सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी में ये बढ़ोत्तरी की थी। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ जाने की वजह से भारत में एमसीएक्स पर सोने की कीमतें बढ़ गईं, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों के मुकाबले भारत में बहुत कम गिरावट देखने को मिली है।
घरेलू मांग और सप्लाई: भारत सोने की खपत के मामले में पूरी दुनिया में सबसे बड़ा देश है। सबसे अधिक सोने की खपत चीन में होती है, जिसके बाद भारत का नंबर आता है। अधिक मांग के चलते भी सोने की कीमतें आसमान छूती हैं। दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहार पर भारत में सोने की खूब खरीद्दारी की जाती है, जो सोने की कीमतों को बढ़ाने में एक अहम रोल अदा करते हैं।
सोने पर बढ़ता प्रीमियम: सोने पर प्रीमियम का बढऩा भी सोने की कीमत को बढ़ाता है। फेस्टिव सीजन आते ही ज्वैलर्स सोने पर प्रीमियम बढ़ा देते हैं, ताकि अधिक कमाई कर सकें। यह प्रीमियम सोने की ज्वेलरी बनावाने की कीमत, टैक्स आदि तरीकों से बढ़ाया जाता है। पिछली दिवाली पर भी सोने पर लगने वाला प्रीमियम बढ़कर 120 डॉलर हो गया था।