Tuesday, September 23

100 दिन से पहले भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र के काम को आकिए

1309_07th_modi_meeting_1880660fनईदिल्ली। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार कैसा काम कर रही है, यह सरकार आपको 100 दिन पूरे होने के मौके पर 2 सितंबर से बताएगी। लेकिन उससे पहले केंद्र का परफॉर्मेंस रिपोर्ट कार्ड जारी करेगा। यह कार्ड आपकी राय के आधार पर तैयार होगा। अलग-अलग मुद्दों पर आपकी ओर से दी गई ग्रेडिंग के हिसाब से हम मोदी सरकार का रिपार्ट कार्ड तैयार कर रहे हैं। इस सिलसिले में आज हम भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मोदी सरकार के अब तक के परफॉर्मेंस पर आपकी राय जानना चाहेंगे। नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले और सत्ता संभालने के बाद कई मौकों पर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। पहले तीन महीनों में मोदी सरकार ने इस दिशा में जो कदम उठाए हैं, उन पर नजर डालिए।
सरकार के सबसे ऊंचे स्तर पर लगाई जा रही लगाम
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में भ्रष्टाचार को लेकर कई वादे किए थे। इनमें लोगों को जागरूक करना, तकनीक का इस्तेमाल कर सरकार और जनता के बीच कामकाज में अधिकारियों-कर्मचारियों के फैसले लेने के अधिकार को सीमित करना। इसके अलावा सिस्टम आधारित, नीति संचालित शासन का रास्ता साफ किया जाएगा, ताकि सरकार से जुड़े कामकाज को पारदर्शी बनाया जा सके। सरकार में आने के बाद नरेंद्र मोदी ने कई छोटे-छोटे कदम उठाकर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने अपनी कैबिनेट से शुरूआत करते हुए मंत्रियों से अपने निजी स्टाफ के रूप में परिवार को के सदस्यों, रिश्तेदारों को काम देने से रोका है। कई मामलों में तो उन्होंने कुछ मंत्रियों से अपनी निजी स्टाफ के रूप में परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों को काम देने से रोका है। कई मामलों में तो उन्होंने कुछ मंत्रियों को उनके पसंदीदा अधिकारियों को निजी स्टाफ बनने से रोक दिया। मोदी सरकार सभी मंत्रियों में पारदर्शिता लाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना पर काम कर रही है। केंद्र सरकार पर अब तक भ्रष्टाचार का कोई बड़ा आरोप नहीं लगा है। हालांकि, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को लेकर भ्रष्टाचार से जुड़ी अफवाहें और उसे लेकर विपक्ष के सवाल सरकार को परेशान कर सकते हैं।
सरकारी कर्मचारियों के लिए संपत्ति घोषित करना जरूरी
चुतर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को छोड़कर सभी सरकारी कर्मचारियो

अधिकारियों और उनके परिवार वालों के लिए हर साल जुलाई में अपनी संपत्तियों की घोषणा करना जरूरी कर दिया गया है। इस साल के लिए डेडलाइन 15 सितंबर रखी गई है। देश में ऐसे करीब 23 लाख कर्मचारी हैं।
ब्लैकमनी
सरकार ने ब्लैकमनी पर अपना सबसे पहला और बड़ा फैसला लेते हुए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपार्ट सौंप दी है। इसके अलावा इस दिशा में उठाए गए कदमों का कोई ठोस असर जमीन पर नहीं दिख रहा है।
लोकपाल कानून
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लोकपाल कानून की अहमियत किसी से छुपी नहीं है। जब लोकपाल कानून वजूद में नहीं था, तब बीजेपी इसके पक्ष में नारे लगाती थी। लेकिन केंद्र में सरकार बनने के तीन महीने बीत जाने के बाजवूद सरकार ने लोकपाल के गठन की ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि सरकार ऐसे अहम कानून को ठंडे बस्ते में नहीं डाल सकती है। कोर्ट ने सरकार से लोकपाल चयन समिति पर भी राय मांगी है।