Wednesday, September 24

घोटालों से नाम हटाने बताया था दबाव

nternational conference on “Environment Audit-Concerns about Water Pollution”, in New Delhiदिल्ली। कांग्रेस की सहयोगी पार्टी एनसीपी ने इसे एक फैशन बताया है। वहीं, बीजेपी ने कहा कि जिन कांग्रेसियों ने पूर्व चीफ विनोद राय पर नाम वापस लेने का प्रेशर बनाया उनके नाम सार्वजनिक करने चाहिए। कांगे्रसी भ्रष्टाचार के इतिहास का काला अध्याय है।
सही वक्त पर नहीं लिए सही फैसले: पूर्व सीएजी अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है और हर बड़े कदम में आखिरी फैसला उनका होता है। मनमोहन सिंह ने कुछ मामलों में यह फैसला किया और कुछ में नहीं। उन्होंने कहा कि मैं आपको अभी बता नहीं सकता कि कैसे किताब में मैंने इन चीजों का लेखा-जोखा पेश किया है, लेकिन यह साफ है कि जिन लोगों को सही वक्त पर सही फैसले लेने थे, उन्होंने ऐसा नहीं किया।
राय का कहना है कि उन्होंने अपनी किताब में और भी बहुत कुछ लिखा है। राय की यह किताब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल को लेकर है। इससे पहले भी पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू और नेहरू गांधी परिवार के करीबी रहे नटवर सिंह की किताबें भी कुछ ऐसे ही खुलासे कर चुकी हैं।
नाम हटाने लगाए थे घर के चक्कर: विनोद राय ने कहा कि यूपीए के कई आला नेता मेरे घर आए और मुझे कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स और कोयला आवंटन की रिपोटर्स के जुड़े कुछ लोगों के ना हटा दीजिए या उन्हें बचा लीजिए। राय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह परभी आरोप लगाए। पीएम पद पर रहते हुए अपनी जिम्मेदारियों से भागने का भी आरोप लगाया है। विनोद राय के इन खुलासों से कांग्रेस का काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
बुक बम से हो सकती है फजीयत: लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार झेलने के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। पूर्व कैग का बुक बम कांग्रेस नेतृत्व पर गिरने वाला है। निश्चित है कि इस खुलासे से कांग्रेस नेतृत्व की बची-खुची साख भी मिट्टी में मिल सकती है। यूपीए सरकार के बारे में पूर्व नौकरशाहों के खुलासे के बाद अब पूर्व सीएजी विनोद राय ने ऐसा खुलासा किया है, जिससे कांग्रेस नेतृत्व की फजीहत हो सकती है। विनोद राय का कहना है कि यूपीए के नेताओं ने कोलगेट और कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की रिपोर्ट से कई नामों को हटाने के लिए दबाव डाला था। सूत्रों के मुताबिक पूर्व कैग अध्यक्ष ने कहा कि नेता लोग मेरे घर आए और सीडब्ल्यूजी और कोयला आवंटन मामले में कुछ लोगों का जिक्र ना करने और उन्हें बचाने की बात कही। 15 सितंबर को रिलीज होने जा रही राय की किताब नॉट जस्ट एन अकाउंटेंट में विस्तार से पता चलेगा। कि किस तरह उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के फैसलों से देश को बड़ा नुकसान हुआ।
नाम बताने से किया इंकार: हालांकि विनोद राय ने उन लोगों का नाम बताने से इंकार कर दिया, जिन्होंने उन पर लोगों के नाम हटाने के लिए दबाव डाला था, लेकिन उन्होंने कहा कि अपनी किताब में उन्होंने विस्तार से लिखा है कि किन हालात में कैसे-कैसे उन पर दबाव डाला गया और क्या-क्या कहा गया। पूर्व आईएएस रहे विनोद राय ने बताया कि इस काम के लिए मेरे सहयोगी ब्यूरोक्रेट्स को भी मेरे पास भेजा गया। राय ने बताया कि उन्होंने सबसे ज्यादा प्रेशर तब महसूस किया, जब संसद की पब्लिक अकाउंट कमिटी की बैठकें चल रही थी।