विदिशा | ग्रहस्थ आश्रम में रहते हुए सगुण उपासना करनी चाहिए। निगुर्ण की उपासना की जरूरत तो अंत में आती है। आंख और मन चंचल होते हैं। इन्हें देखने और सुनने की आदत होती है। इसलिए इन्हें सगुण ब्रम्ह के दर्शन कराओं। भक्ति में ताकत होती है। जिस प्रकार शकर विखेर देने पर चीटी कहीं से भी दौड़ी चली आती है। उसी प्रकार ईश्वर आराधना करने पर भगवान दौड़ा चले आते है। ये सब बाक्य पंडित कमल किशोर नागर जी ने विदिशा के टीलाखेड़ी में चल रहे कथा में कही कथा का आयोजन टीलाखेड़ी के पास सरस्वती शिशु मंदिर के सामने चल रही है आज कथा का 5 वा दिन दिन है बड़ी संख्या में लोग कथा सुनने आरहे है भक्तो की संख्या इतनी अधिक हैं की कथा स्थल का पंडाल भी छोटा पड़ने लगा है कथा सुनने के लिए जिले के अलावा अन्य कई जिलों से श्रद्धालु आ रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के कारण दुर्गानगर चौराहे से कथा स्थल तक जांम के हालात बने रहते है |