
रांची. परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का के समाधि स्थल से मिट्टी लाने उनकी पत्नी बलमदीना अगरतला पहुंचीं। इस मौके पर dainikbhaskar.com बता रहा है अलबर्ट एक्का के बारे में। एक्का गंगासागर बॉर्डर पर 1971 की लड़ाई में गोलियां खाते हुए बंग्लादेश बॉर्डर (उस समय पाकिस्तान) में घुस गए थे और ग्रेनेड फेंककर दुश्मन के तीन बंकर उड़ा दिए थे।
गंभीर रूप से घायल होने पर भी डटे रहे
एक बंकर तबाह करने के बाद भी अल्बर्ट एक्का रुके नहीं और गंभीर चोट लगने के बाद भी आगे बढ़े। दुश्मन ने एमएमजी गन से इनकी टीम पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। यह देखकर अल्बर्ट एक्का ने फिर एक बार अपनी जान की परवाह न करते हुए और हाथ ग्रेनेड लेकर उस दुश्मन पर हमला बोल दिया। एमएमजी गन धारक दुश्मन को मौत के घाट उतार दिया। साथ ही, उसके साथियों को घायल कर दिया।
खून से लथपथ थे फिर भी जारी रखी जंग
ग्रेनेड से दुश्नम के हथियार नष्ट करने के बाद भी एक्का ने अपनी जंग जारी रखी और उनकी टीम की रक्षा की। इस जंग में उन्होंने अपनी टीम के मिशन को कामयाबी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। उनकी इस बहादुरी को आज भी याद किया जाता है। इस जंग में इस सैनिक ने अपने देश के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया था।
परमवीर चक्र और डाक टिकट
1971 की लड़ाई को ‘बैटल ऑफ हिल्ली’ भी कहा गया। बांग्लादेश की आजादी ले लिए लड़ी गई ये लड़ाई कुल 13 दिन चली थी। इस लड़ाई में दुश्मनों के कैंप में घुसकर अपनी टीम को बचाने वाले एक्का की इस वीरता पर भारत सरकार ने इनके लिए परमवीर चक्र से दिया गया। इसके अलावा सरकार ने इनके सम्मान में साल 2000 में 3 रुपए कीमत के डाक टिकट भी जारी किए।
