भारत। । अगली पीढ़ी के युद्धों पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान का 16 जुलाई का संबोधन देश के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत है। उन्होंने यह साफ़ कर खतरे की घंटी बजा दी कि आज के युद्धों को बीते जमाने के पुराने हथियारों से नहीं जीता जा सकता। इसका सीधा मतलब था कि अगली लड़ाई या ऑपरेशन सिंदूर जैसी किसी भी स्थिति के लिए स्वदेशी और अत्याधुनिक हथियारों के साथ तेजी से तैयारी करो, ताकि दुश्मन को पहले ही वार में निष्क्रिय किया जा सके। देश में आत्मनिर्भरता अभियान के तहत स्वदेशी हथियार निर्माण पहले से ही शुरू है, लेकिन अभी भी निर्माण, गुणवत्ता और आवश्यकताओं के बीच कई अहम खामियां बनी हुई हैं। जनरल चौहान ने यह तो नहीं कहा, लेकिन उनका संकेत स्पष्ट था कि भारत को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए चीन के बराबर या उससे आगे निकलना होगा। यह सरकार और भारतीय रक्षा उद्योगों के लिए स्पष्ट संदेश है। उन्होंने खास तौर पर जोर दिया कि भारत को अपने स्वदेशी एंटी-यूएएस को अपग्रेड करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे सिस्टम जो हमारे भूगोल और जरूरतों के अनुसार बने हों, बेहद जरूरी हैं। हमें इन पर निवेश करना होगा। विदेशी तकनीक पर निर्भरता हमारी तैयारियों को कमजोर करती है।
टैंक और तोप जैसे पारंपरिक हथियार पुराने समय में हुई जंगों के लिए तो उपयोगी थे, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि नई तकनीक कहीं अधिक प्रभावशाली और जरूरी है। इसलिए अब स्वदेशीकरण पर विशेष ध्यान और विस्तृत काम करने की जरूरत है। इसके लिए पहला कदम अनुसंधान और विकास को हर स्तर पर मजबूत करना होना चाहिए। दुर्भाग्य से यह अत्यंत आवश्यक क्षेत्र अब तक उपेक्षित रहा है। मोदी सरकार के तहत हाल के वर्षों में कुछ बड़े प्रयास जरूर हुए हैं, लेकिन सभी खामियां अब तक दूर नहीं हुईं। अगर भारत को अपने विरोधियों से आगे निकलना है तो अनुसंधान और विकास की रफ्तार को और तेज करना होगा। बीते हथियारों को अपग्रेड करने की आवश्यकता तो हमेशा से समझी जाती रही है, लेकिन इसे ध्यान में तब लाया गया जब 6–7 मई की रात पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के जवाब में तनाव बढ़ाया, जिसके जवाब में भारत ने पारंपरिक और अत्याधुनिक दोनों तरीकों से कार्रवाई की और पाकिस्तान 10 मई को युद्धविराम की गुहार लगाने को मजबूर हुआ। भारत ने इस अनुरोध को स्वीकार किया, क्योंकि भारत का आतंकी ढांचों को ध्वस्त करने का उद्देश्य पूरा हो चुका था।