Friday, September 26

मोहन भावसार के तुकलकी फरमान से नहीं निकलसकी रंग की टंकी

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गंजबासौदा। सुनील पंथी गंजबासौदा में चली आ रही वर्षो की परमपरा को मेहज अपने तुकलकी फरमान से नगरपालिका अध्यक्ष मोहनभावसार ने खत्म कर दिया हर वर्ष निकलने वाली रंगपंचमी पर रंग की टंकी का शहर भर को इंतजार रहता था। पर इसबार प्रदेश में हुई ओला पृष्टि का तर्क देकर रंगपंचमी के त्यौहार से नगरवासियों को बंचित कर दिया। इससे नगर के गई प्रभुद्ध लोगों में रोस देखा गया। मोहनभावसार के इस निर्णय के पीछे क्या मंशा है यह पता नहीं क्योंकि प्रदेश स्तर पर सरकार ने इस तरह का कोई फरमान जारी नहीं किया था। यदि किया होता तो विदिशा में भी यह फरमान लागू होता साथ ही भोपाल और इंदौर में तो रंगों के त्यौहार को खूब उत्साह के साथ मनाया गया। होली की इस मस्ती में रंगपंचमी पर जब रंग की टंकी नहीं निकली तो लोगों ने नगर पालिका अध्यक्ष मोहन भावसार के इस निर्णय के बारे में कई तरह की टिप्पणियां की कोई कह रहा था कि मोहन भावसार के यहां अनरय का त्यौहार है इस लिए रंग की टंकी नहीं निकली कोई कहता था कि उनका फैसियल करा चेहरा खराब न हो जाए इसलिए रंग की टंकी नहीं निकली इस तरह लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे और यहां तक भी कह रहे थे कि यह वही मोहन भावसार हैं जो हिन्दुत्व की बात करते हैं और हिन्दु त्यौहारों को तुकलकी फरमानों से नजर अंदाज करते हैं। यही नहीं लोगों का कहना यहां तक था यदि किसी अन्य समाज का अध्यक्ष बैठा होता तो भाजपा सहित हिन्दुवादी संगठन बड़े सोरा मचाते और परमपराओं दुहाई देकर आलोचना करते। पर हिन्दुओं की पैरोकार समझी जाने वाली भाजपा के इन महान अध्यक्ष ने बासौदा की वर्षो पुरानी परमपरा को तोड़ दिया है। इस का जबाव वक्त आने पर बासौदा नगरी अवश्य देगी। दिखाने को वीर सावरकर की प्रतिमा पर माला चड़ाने का ढ़ोंग करने वाले नेताओं को यह बस्ती कभी माफ नहीं करेगी ऐसा होली के रंग से बंचित रहे लोग आपस में कह रहे थे।