
अमेरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बुधवार (दो अप्रेल) को वाइट हाउस के रोज गार्डन में पारस्परिक टैरिफ (रिसिप्रोकल टैरिफ) की घोषणा करने वाले हैं, जो ट्रंप टैरिफ के नाम से चर्चित है। इसे वह अमरीका के लिए ‘लिबटी-डे’ (मुक्ति दिवस) बता रहे हैं क्योंकि, उनका दावा है कि इस दिन अमरीका विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता से मुक्त हो जाएगा। अमरीका में अन्य देशों से आयात होने वाले सामान पर उतना ही टैक्स वसूलने की शुरुआत होगी, जितना अमरीकी समान पर अन्य देश वसूलते हैं। हालांकि, इस बात पर अनिश्चितता बनी हुई है कि ये शुल्क वास्तव में कैसे लागू किए जाएंगे और भारत और दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
अमरीका और भारत के व्यापार प्रतिनिधियों के बीच पिछले दिनों हुई वार्ता के बाद एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि टैरिफ की आड़ में अमरीका भारत पर अपने नियमों में बदलाव करने का दवाब डाल रहा है जिससे उनकी कृषि, चिकित्सा और प्रोद्योगिकी के जुड़ी कंपनियों को भारत में कारोबारी सहूलियत मिल सके। अमरीका चाहता है कि भारत जीएम बीज, डेयरी प्रोडक्ट, स्टेंट के आयात संबंधी नियमों को लचीला बनाए। और आइटी कंपनियों के लिए डेटा का सर्वर स्थानीय स्तर पर स्थापित करने का दबाव छोड़ दे। हालांकि, घोषित तौर पर बताया जा रहा है कि अमरीका ने अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए पारस्परिक टैरिफ लगाने की योजना बनाई है, जिसके तहत 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाएंगे। इसका उद्देश्य एक दशक में अमरीकी राजस्व को छह ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाना है। उससे वैश्विक विकास पर ब्रेक लग सकता है, मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और दुनिया आर्थिक मंदी में फंस सकती है।
वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ‘देश-आधारित’ टैरिफ की घोषणा कर सकते हैं। अमरीकी मीडिया के अनुसार, ट्रंप टैक्स की घोषणा भारतीय समय के अनुसार रात 12,30 बजे होगी। राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ धमकियों से ट्रेड वॉर की बढ़ने आशंकाओं के कारण मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में कोहराम मच गया। सेंसेक्स में 1.80 फीसदी और निफ्टी में 1.50 फीसदी की गिरावट आई।
चीन का संदेशः ड्रैगन-हाथी साथ-साथ करे नृत्य
‘ट्रंप टैक्स’ से ट्रेड वॉर बढ़ने की आशंकाओं के बीच, सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में एक चीन ने बदली वैश्विक परिस्थिति में भारत को एकबार फिर दोस्ती बढ़ाने का पैगाम भेजा है। भारत-चीन संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेज अपने संदेश में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि ‘हम ग्लोबल साउथ के महत्त्वपूर्ण देश हैं। भारत और चीन आधुनिकीकरण के अहम चरण में हैं और हमारी साझेदारी ‘ड्रैगन और हाथी’ के साथ-साथ नृत्य करने में योगदान देगी।’ राष्ट्रपतियों के अतिरिक्त दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों नरेंद्र मोदी और ली कियांग ने भी एक-दूसरे को बधाई संदेश भेजें हैं।
अमरीका को भारत से क्या परेशानी
1- व्यापार और आयात के नियम:
भारत में डेयरी उत्पादों के लिए सख्त शर्तें (जानवरों के चारे से संबंधित)
सूअर का मांस और मछली उत्पादों में जीन एडिटिंग न होने का सर्टिफिकेट
दालों के आयात की सीमा तय किया जाना
2- बौद्धिक संपदा और पेटेंटः
पेटेंट से संबंधित लंबी प्रतीक्षा सूची, पेटेंट योग्यता के मानदंड से दिक्कत
पेटेंट अधिनियम की धारा 3(डी), जिससे दवा कंपनियों को भारतीय बाजार में दिक्कतें
3- डेटा के लिए स्थानीय सर्वर
- आरबीआइ का 2018 डेटा स्थानीयकरण नियम, जिससे अमरीकी कंपनियों को परेशानी
- ‘ओपन स्काई’ सैटेलाइट नीति अपनाने का दबाव, ताकि अमरीकी कंपनियां आ सकें
4- मूल्य नियंत्रण और स्वास्थ्य उपकरण:
- घुटने के प्रत्यारोपण और कोरोनरी स्टेंट पर मूल्य नियंत्रण, जिससे अमरीकी मेडिकल कंपनियों परेशानी
कृषि-स्वास्थ पर भारत दवाब में नहीं आएगा - अमरीकी भारत पर व्यापार दबाव बढ़ा सकता है, जिससे आयात मानकों में बदलाव की संभावना हो सकती है। हालांकि भारत सरकार ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं।
- भारत कृषि और स्वास्थ्य नीतियों में ढील देने से बचेगा, क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता से जुड़े हैं। डेटा संरक्षण नियमों पर अमरीका और भारत में मतभेद बने रहने की संभावना है।