
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तमिलनाडु के बारे में सोमवार को की गई टिप्पणी पर मंगलवार को राज्यसभा में सरकार और विपक्षी भिड़ गए। गर्मागर्मी के बीच नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुस्से में कहा, ‘क्या-क्या ठोकना है, हम ठीक से ठोकेंगे। सरकार को ठोकेंगे। यहां पर तानाशाही चल रही है, किसी को भी बोलने नहीं दिया जा रहा।’ खड़गे के इस बयान पर सदन में हंगामा मच गया। हालांकि खड़गे ने बयान पर सदन से माफी मांग ली।
खड़गे ने शिक्षा मंत्री के बयान की निंदा
दरअसल, नई शिक्षा नीति को लेकर मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान की निंदा की। जब उपसभापति हरिवंश ने खड़गे को बोलने से रोका गया तो वो गुस्सा गए।
जेपी नड्डा ने खड़गे के बयान पर किया पलटवार
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यहां तानाशाही चल रही है। इस पर मंत्री जेपी नड्डा ने सख्त लहजे में बोला कि ये तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, सदन का लंबा अनुभव रखने वाले नेता विपक्ष ने इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है। ये निंदनीय है और आसन के प्रति ऐसे शब्दों का इस्तेमाल स्वीकार नहीं किया जा सकता। खड़गे को माफी मांगनी ही चाहिए।
माफी पर भी तकरार
विवाद ज्यादा बढ़ा तो खड़गे ने सफाई पेश करते हुए माफी मांगी। कांग्रेस नेता खड़गे बोले कि उन्होंंने आसन के लिए कुछ नहीं बोला बल्कि वे सरकार के खिलाफ टिप्पणी कर रहे थे। इस पर नड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर सरकार के लिए भी उनकी तरफ से ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ, इसे भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मणिपुर मामले में सीतारमण-गोगोई में नोक-झोंक
वहीं लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति शासित मणिपुर का बजट पेश किया। इस दौरान कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि मणिपुर में दो साल से बंदूक के नोक पर लोगों का जीवन चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर जाना चाहिए। इस पर सीतारमण ने दखल देते हुए कहा कि विपक्ष के सदस्य बार-बार प्रधानमंत्री का अपमान करते हैं। यह गलत परंपरा है।