
मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस यानी आइपीएफ रोग की वजह से हुआ। वह इस बीमारी से लंबे समय से पीडि़त थे। राजधानी के चिकित्सकों का कहना है कि फेफड़ों में होने वाली इस क्रोनिक बीमारी के मरीज भोपाल में भी है। गैस कांड के दौरान रिलीज हुई मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के अलावा चारों ओर चल रहे कंस्ट्रक्शन से निकलने वाली धूल इस रोग को बढ़ा रही है। कुछ पर्यावरणीय कारकों से इसका खतरा बढ़ सकता है,जो भोपाल के आसपास पाए जाते हैं। यह रोग बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। इसीलिए ज्यादातर लोग इसे उम्र जनित बीमारी मान कर नजरअंदाज कर देते हैं। और इलाज में देरी मौत का कारण बनती है।
इस बीमारी का स्पष्ट कारण नहीं पता चल पाता इसलिए इसे इडियोपैथिक कहते हैं। इसमें फेफड़ों के फैलने और सिकुडऩे की क्षमता प्रभावित होती है। फेफड़ों से ऑक्सीजन रक्त तक पहुंचाने वाली मे्ब्रेन (नली) मोटी हो जाती है। जिससे शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है। पहले मरीज कमजोर होता है और अंत में मौत हो जाती है। आइपीएफ रोग बेहद धीरे-धीरे बढ़ता है। जब बीमारी फैल चुकी होती है तब इसे पूरी तरह ठीक करना संभव नहीं होता। फेफड़े का जितना हिस्सा प्रभावित होता है उसे उतने पर ही सीमित कर बाकी बचे हिस्से को ऑक्सीजन थेरेपी, एक्सरसाइज और दवाओं की मदद से बचाया जा सकता है। रोग के लक्षण दिखने पर मरीज की सीटी स्कैन और पीएफटी जांच से रोग की पहचान होती है।