
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि महिलाओं को घरेलू हिंसा (Domestic Violence) से संरक्षण कानून (DV Act) के तहत साझा घर में रहने का पत्नी का अधिकार पूर्ण नहीं है। यदि पत्नी लाभकारी नौकरी करती है तो उसे ससुराल के साझा घर से बेदखल किया जा सकता है भले ही उस घर पर किसी का भी स्वामित्व हो। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा (Justice Neena Bansal Krishna) ने ससुराल के साझा घर से बेदखल की गई पत्नी की अपील खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पत्नी एमबीए शिक्षित महिला है और कंपनी में काम करती है। साझा घर से बेदखल कर उसे असहाय नहीं छोड़ा गया है।
पति-पत्नी के बीच कानूनी विवाद की पृष्ठभूमि में कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अपीलकर्ता के बुज़ुर्ग ससुर के पास साझा घर का स्वामित्व है और उन्हें बुढ़ापे में उनके घर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इस मामले में महिला को बेघर नहीं छोड़ा गया बल्कि किराये का वैकल्पिक आवास उपलब्ध करवाया गया।