Monday, September 22

जमीन घोटाला केस में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती है। प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी को पक्षपातपूर्ण बताते हुए इस केस में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

आज झारखंड सीएम हेमंत सोरेन का कैबिनेट विस्तार हुआ, जिसमें कई पुराने चेहरों ने फिर से शपथ ली। 4 जुलाई को सीएम पद से इस्तीफा देने वाले चम्पई सोरेन को मंत्रिमंडल में जगह दिया गया है। झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने सोमवार को विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र में हंगामे के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया। मौजूदा विधानसभा में मौजूद 76 सदस्यों में से 45 ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। विधानसभा के मौजूदा स्ट्रेंथ के हिसाब से बहुमत के लिए न्यूनतम 39 मतों की जरूरत थी। भाजपा और आजसू के विधायकों ने वोटिंग के दौरान सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए सदन का बहिष्कार किया। सीएम हेमंत सोरेन ने सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर विश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस पर वाद-विवाद के बाद अपराह्न 12 बजकर 20 मिनट पर वोटिंग कराई गई।

फिर जेल जाएंगे हेमंत सोरेन?

आज हेमंत सोरेन का कैबिनेट विस्तार हुआ। कई मंत्रालय उन्होंने अपने पास रखा। लेकिन इसी बीच उनके लिए एक बुरी खबर तब आ गई जब जमीन घोटाला केस में ED ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा दिया।ED ने हाईकोर्ट के जमानत के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए SC में याचिका दाखिल की है। याचिका में ईडी ने कहा है कि हाईकोर्ट की टिप्पणी पक्षपातपूर्ण है। बता दें कि लैंड स्कैम केस में हाईकोर्ट ने कहा था कि हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट में ED हेमंत सोरेन के खिलाफ अगर ठोस सबूत पेश करती है तो उन्हें फिर से जेल जाना पड़ सकता है।

हेमंत सोरेन ने बनाये कई रिकॉर्ड

झारखंड में हेमंत सोरेन के एक बार फिर से सीएम बनने और सोमवार को कैबिनेट के विस्तार के साथ ही राज्य के सियासी इतिहास में कई नायाब रिकॉर्ड बन गए हैं। हेमंत सोरेन राज्य के पहले नेता हैं, जो बेल पर जेल से छूटने के सातवें दिन दूसरी बार सीएम बने। वह विधानसभा में चार बार विश्वास मत हासिल करने वाले राज्य के पहले सीएम हैं। चंपई सोरेन के नाम राज्य के पहले ऐसे नेता होने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया है, जिन्होंने सीएम पद से इस्तीफे के बाद मंत्री पद की शपथ ली है। 4 जुलाई की दोपहर तक वह राज्य के सीएम थे और अब चार दिनों के अंतराल के बाद मंत्री हैं।

झारखंड में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 12 हो सकती है, लेकिन वर्ष 2014 से ही यहां 12वें मंत्री का पद रिक्त था। सोमवार को दस वर्षों के बाद पहली बार राज्य मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या 12 हुई है। इसके पहले 2014 से 2019 तक सीएम रहे रघुवर दास ने पांच साल के पूरे कार्यकाल तक 12वें मंत्री का बर्थ खाली रखा। इसके बाद 2019 में हेमंत सोरेन और फरवरी 2024 में सीएम बने चंपई सोरेन ने भी कैबिनेट में 12वां मंत्री नहीं बनाया था। सोमवार को रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, हफीजुल हसन, सत्यानंद भोक्ता और मिथिलेश ठाकुर का नाम झारखंड के ऐसे नेताओं में शुमार हो गया, जिन्होंने पांच साल से भी कम समय में तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली।