रक्षा मंत्रालय ने बताय है कि इस मध्यम दूरी के चैफ रॉकेट में कुछ माइक्रोन के व्यास और अद्वितीय माइक्रोवेव आरोपण गुणों के साथ विशेष प्रकार के फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय नौसेना के लिए मध्यम दूरी के माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट (MR-MOCR) विकसित किया है। जोधपुर की लैब में विकसित यह रॉकेट बुधवार को नौसेना में शामिल किया गया। यह एक ऐसी तकनीक है जो दुश्मन के रडार में संकेतों को अस्पष्ट करती है। यह फायर किए जाने के बाद प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के चारों ओर माइक्रोवेव शील्ड बनाती है और रडार की पकड़ में आने की आशंका को कम करती है।
एमआर-एमओसीआर के पहले चरण के परीक्षणों को भारतीय नौसेना के जहाजों से सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। इस दौरान एमओसी क्लाउड खिला रहा और अंतरिक्ष में लगातार बना रहा। दूसरे चरण के परीक्षणों में, रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) द्वारा हवाई लक्ष्य को 90 प्रतिशत तक कम करने का प्रदर्शन किया गया है और भारतीय नौसेना की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई है। योग्यता जरूरतों को पूरा करने वाले सभी एमआर-एमओसीआर को सफलतापूर्वक भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।