रेती, गिट्टी, सीमेंट, ईंट, सरिया सहित तमाम वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ने से घर बनाना अब आसान नहीं है। मजदूरी की राशि भी दो साल में डबल हो गई है। मुंहमांगी राशि देने बावजूद मजदूर नहीं मिलने की समस्या भी है। स्थिति यह है कि जिस अनुमानित बजट में मकान बनना शुरू होता है, मकान बनते-बनते वह ओवर बजट हो जाता है। महंगाई से हर व्यक्ति परेशान है।
फिनिशिंग नहीं है आसान
घर का ढांचा तैयार करने के बाद टाइल्स, सेनेटरी व हार्डवेयर का काम भी होता है। इसकी कीमतों में भी 40 से 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। ठेकेदार लाला खान के मुताबिक, पहले पांच हजार रुपए प्रति बाथरूम तैयार करने के लेते थे, जो अब 15 हजार रुपए हो गए हैं। टाइल्स फिटिंग का काम 50 रुपए प्रति वर्गफीट से बढ़कर 75 रुपए हो गया है।
कोरोना के बाद नहीं लौटे उप्र व बिहार के कारीगर, अब मजदूर भी महंगे
मकान बनाने के बाद हर शख्स फर्नीचर तैयार कराता है। ठेकेदार यह काम प्रतिशत से करते हैं। सामग्री की कीमत से 35 फीसदी उनकी मजदूरी होती थी, लेकिन अब 40 फीसदी हो गई है। ठेकेदार सत्यनारायण पांचाल के मुताबिक, कोरोना से पहले बिहार व यूपी के कारीगर बड़ी संख्या में थे। वे लौटकर नहीं आए। उन्हें वहीं काम मिल गया। इससे कारीगरों की समस्या हो गई है। वे ज्यादा दाम मांग रहे हैं। प्लायवुड व लकड़ी से लेकर फर्नीचर में लगने वाली वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा हुआ है।