Monday, September 29

उत्तर प्रदेश में वोटिंग कम, बढ़ाई नेताओं की चिंता, राजनीतिक दलों ने बदली अपनी रणनीति

उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को हुए पहले चरण का मतदान 60.25 प्रतिशत दर्ज किया गया। सहारनपुर में सबसे ज्यादा 66.65 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि रामपुर 55.75 प्रतिशत मतदान के साथ सबसे पीछे रहा। पीलीभीत में 61.91%, मुरादाबाद में 60.60%, कैराना में 61.17%, मुजफ्फरनगर में 59.29%, बिजनौर में 58.21%, नगीना में 59.54% वोट पड़े हैं। हालांकि, साल 2019 के मुकाबले इन सीटों पर करीब 5.9 फीसदी कम वोट पड़े हैं। इसी के साथ ही आठ सीटों के लिए 80 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया।

कम वोटिंग होने के बावजूद नेताओं के दांवे बड़े

पूरे देश की नजर उत्तर प्रदेश पर हैं। यहां से 80 सांसद चुनकर संसद पहुंचते हैं। पहले चरण में कम वोटिंग होने की वजह से नतीजों को लेकर सियासी दलों की धुकधुकी भी बढ़ गई है। वहीं बीजेपी नेताओं का दावा है कि उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नए रिकॉर्ड बनाएगा। इसके अलावा मोदी सरकार की वापसी की उम्मीदों का दावा भी किया गया है।

एनडीए और इंडिया प्रत्याशी के बीच मुकाबला

पहले चरण की अधिकतर सीटों पर एनडीए और इंडिया के प्रत्याशी मुख्य लड़ाई में रहे। एक-दूसरे के आधार वोट में सेंधमारी से मुकाबला रोचक हो गया। बसपा कई सीटों पर जीत- हार के समीकरणों पर असर डालती दिखी। अधिकतर सीटों पर मुस्लिम मतदाता विपक्षी गठबंधन के पक्ष में एकजुट दिखे। भाजपा ने दलित मतदाताओं में अच्छी सेंधमारी की। वहीं नगीना में आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने सपा- बसपा के आधार वोटबैंक में सेंधमारी की।