धार भोजशाला में जारी सर्वे के 24वें दिन रविवार को एएसआई टीम के 22 अधिकारी-कर्मचारी 27 मजदूरों और आधुनिक उपकरणों के साथ परिसर में जांच पड़ताल की। इंदौर हाईकोर्ट बेंच के आदेश के अनुसार भोजशाला और भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में उत्खनन, जीपीएस, जीपीआर, कार्बन डेटिंग, उच्च स्तरीय फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी समेत अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से लगातार सर्वे कार्य चल रहा है। सुरक्षा के लिहाज से भोजशाला के आसपास पुलिस जवान तैनात किए गए हैं।
कई धरोंहरों पर दावा
शर्मा ने ये भी दावा किया किशहर में जो 437 मजारे हैं, वे नाथों की समाधियां हैं। कमाल मौला 1269 में आए थे और 1305 में अहमदाबाद चले गए थे, उनकी मजार पुराना जीपीओ कार्यालय के पीछे बना है, उनके मरने के 300 साल बाद 16वीं शताब्दी में मोहम्मद खिलजी और मोहम्मद गौरी ने वहां से ईट लाकर हमारे दोनों देवस्थानों को ध्वस्त कर मजार बना दी थी। कई उदाहरण है जैसे ताजमहल में जाओ तो नीचे तलघर है, वहां नीचे एक सफेद मजार बनी है, जिसपर जमुना जी का पानी एक-एक बूंद गिरता है, पानी शिवलिंग पर ही गिरता है। कुतुब मीनार भी 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था।
शिलालेख और पत्थर उर्दू, अरबी और फारसी में लिखा
वहीं, दूसरी तरफ कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष और मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान का कहना है कि अंदर सर्वे का काम अपनी गति से चल रहा है। दरगाह के अंदर जो भी शिलालेख और पत्थर मिले हैं जिनपर उर्दू, अरबी और फारसी में लिखा है। उनकी जांच के लिए जल्दी ही कुछ मशीनें और साइंटिस्ट यहां पहुंचने वाले हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सर्वे के दौरान साफ सफाई फोटोग्राफी वीडियोग्राफी, लेबलिंग स्केचिंग और ड्राफ्टिंग का काम हुआ है, जिससे वे किस समय के हैं ये पता लगाया जा सके। ये सारी बातें वे गुप्त रख रहे हैं। जो कोर्ट के सामने ही पेश की जाएंगी।