ग्वालियर लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस अभी तक प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है। ग्वालियर लोकसभा सीट की बात की जाए तो यह मध्य प्रदेश की चुनिंदा महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में गिनी जाती है। इस सीट पर 17 साल से भाजपा का कब्जा है।
साल 2000 से पहले यह सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली मानी जाती थी, लेकिन 2007 से यह सीट भाजपा जीतती आ रही है। 1952 में ग्वालियर लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। तब यहां हिंदू महासभा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद ज्यादातर समय सिंधिया राजघराने का ही कब्जा रहा है।
कोई भी प्रत्याशी सांसद नहीं बन सका
1962 में राजमाता विजया राजे सिंधिया जीती थी। उनके सामने हिंदू महासभा से नरसिंह जोशी मैदान में उतरे थे, लेकिन वे जीत नहीं सके थे। इसके बाद से आज तक कोई भी हिंदू महासभा का प्रत्याशी सांसद नहीं बन सका। 1984 से लेकर 1998 तक बेटे माधवराव सिंधिया और 2007 और 2009 में यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव जीत चुकी हैं। हालांकि, विजयाराजे और उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के लिए ग्वालियर सीट जीती तो वहीं बेटी यशोधरा राजे ने भाजपा के लिए जीत दर्ज की।
ग्वालियर लोकसभा में आती हैं 8 विधानसभा सीटें
ग्वालियर लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें ग्वालियर की 6 और शिवपुरी जिले की 2 विधानसभा सीट हैं। 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल भाजपा और कांग्रेस में बराबर का मुकाबला रहा. 8 में से 4 सीटों पर कांग्रेस और 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।