Saturday, October 4

सीरिया को राख करने वाले ISIS ने आखिर क्यों किया रूस पर हमला?

वो वक्त साल 2014-2016 का था, जब सीरिया में ISIS अपनी दहशत को हद से पार पहुंचा रहा था। लाखों का नरसंहार, हजारों लड़कियों का यौन शोषण, बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और अमेरिकी नागरिकों की बेदर्दी से हत्या करना और उसके वीडियो जारी करना ISIS का एक मुख्य जरिया था दुनिया में अपने खौफ को बसाने का। लेकिन जब अमेरिका ने ISIS के सरगना अबु-बकर-अल-बगदादी का खात्मा किया तो ये दहशतगर्दी भी कम होती गई। एक वक्त को लगा था कि अब ISIS अपने खात्मे की तरफ है लेकिन अब मॉस्को में उसने जो दहशतगर्दी मचाई है उसने फिर से लोगों के मन में एक डर पैदा कर दिया है और एक सवाल छोड़ दिया है कि क्य़ा ISIS फिर से मजबूत हो गया जिसने रूस जैसे शक्तिशाली देश पर हमला किया और इससे भी बड़ा एक और सवाल कि ISIS ने रूस को ही क्यों निशाना बनाया, क्यों उसने मॉस्को (Moscow) में ही हमला किया?

अमेरिका (America Alert Russia) की खुफिया एजेंसियों ने रूस को एक आतंकी हमले के शक को लेकर करीब दो हफ्ते पहले ही आगाह कर दिया था। अमेरिका की नज़र में ये हमला ISIS की क्रूरता की एक और बानगी तो है ही। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद से पैदा हुए वैश्विक राजनीति के तनाव को भी दिखाता है। क्योंकि युद्ध के बाद से रूस के रिश्ते गल्फ देशों के साथ खराब हुए हैं। ISIS का मॉस्को में ये हमला इन्हीं बिगड़े हुए रिश्तों की बानगी को दिखाता है और इस हमले से ISIS ने दुनिया को ये दिखा दिया है कि रूस और राष्ट्रपति पुतिन ISIS के दुश्मनों में शामिल हो गए हैं।

क्यों किया ISIS ने मॉस्को में हमला?मॉ़स्को में ISIS के हमले को लेकर विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि ISIS मॉस्को यानी रूस को उनके संगठन के उत्पीड़क के तौर पर देखता है। इसके भी कई कारण हैं।

1- व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) के नेतृत्व में रूस की सेना ने मध्य-पूर्व देशों, खासकर सीरिया में हस्तक्षेप किया था जब 2014-15 में सीरिया में ISIS वहां की भीषण नरसंहार मचा रहा था तब वहां पर शासन को दोबारा स्थापित करने के लिए पुतिन ने रूसी सेना को वहां भेजा था।

2- सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद (Bashar al-Assad) चाहते थे कि रूस इस आतंकवादी संगठन का मुकाबला करे और देश में फिर से शांति स्थापित करने में उनकी मदद करे।

3- राष्ट्रपति असद के अनुरोध के बाद ही रूस ने अपनी सेना सीरिया में भेजी थी जो ISIS को रास नहीं आया। रूस की इस सेना में उसका खूंखार निजी सैन्य ग्रुप वैगनर (Wagner Group) भी शामिल था।
4- सीरिया में ISIS के खिलाफ रूस की कार्रवाई का ISIS ने विरोध किया था। रूस ने तब (2015 में) सीरिया के 26 प्रतिशत भाग को ISIS से मुक्त करा लिया था।5- सीरिया में रूस के इस ऑपरेशन को अमेरिका का भी सहयोग मिला था। जो ISIS के पतन का अहम कारण बना था।

6- ISIS का अमेरिका और रूस के दुश्मनी मोल लेने का ये एक अहम कारण था। ISIS के सरगना अबु बकर अल बगदादी की 2019 में मौत के बाद ये दुश्मनी और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
मॉस्को में ISIS ने (ISIS Attack In moscow) हमला क्यों किया इसकी वजह इन कारणों में दिखाई देती है। हालांकि सोचने वाली बात ये है कि अमेरिका के इस हमले को लेकर आगाह करने के बावजूद रूस ने अपनी सुरक्षा को चौकस करने की तत्परता क्यों नहीं दिखाई? अमेरिका ने ये तक बता दिया था कि ये हमला किसी बड़ी सार्वजनिक सभा में हो सकता है। रूस और अमेरिका के खराब रिश्तों के बावजूद अमेरिका ने रूस को इस हमले के लिए सतर्क किया लेकिन रूस ने अमरीका की इस सलाह को गंभीरता से लेना जरूरी नहीं समझा जिसका नतीजा इस विभत्स आतंकी हमला के तौर पर सबके सामने आया।
क्या है ISIS?इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया इस ISIS का पूरा नाम है। संक्षिप्त में इसे IS या ISIS भी कहते हैं। ISIS, ISIS-K यानी इस्लामिक स्टेट खुरासान का एक बड़ा सहयोगी है। ये दुनिया के नक्शे में पूर्व में स्थित देशों में साल 2014 में उभरकर सामने आया। अफगानिस्तान से इसका उदय हुआ और फिर ईरान, तुर्कमेनिस्तान के अलावा इराक, लीबिया जैसे देशों में अपनी पैठ बढ़ाई। 2014-15 से सीरिया में इसने अपना सबसे खूंखार रूप दिखाना शुरू किया। ISIS की दहशत की कहानियां किसी के भी रोंगटे खड़े करने के लिए काफी थीं। हजारों की संख्या में एक साथ लड़कियों को उनके घरों से उठाकर ले जाना, उनका सामूहिक बलात्कार करना, छोटे-छोटे बच्चों को उनके घर में घुसकर उनकी मांओं के सामने धारदार हथियार से काटकर उनका मांस खाना, बुजुर्गों को एक साथ पिंजड़े में बंद कर उसमें आग लगा देना और लाइव वीडियो प्रसारित कर उसमें अमेरिका के नागरिकों समेत आम सीरिया के नागरिकों का बड़ी बेरहमी से गला रेतना ISIS के उन क्रूर कृत्य़ों में शामिल था जिसने इस पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। ISIS के चंगुल से छूटी कुछ लड़कियों ने संयुक्त राष्ट्र में ISIS की खौफनाक और दर्दनाक कहानी भी बयां की थी। जिसमें नादिया मुराद भी शामिल थीं। नादिया पर अब कई किताबें भी छप चुकी हैं।