नईदिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने नरेंद्र मोदी को पीएम बनवाने के लिए भाजपा की ओर से कथित रूप से 400 करोड़ रूपए खर्च करने की खबर पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है 1. क्या यह आम आदमी का पैसा है या किसी बड़े आदमी का है या फिर काला धन है, भाजपा लोगों को बताए। अगर चुनाव में सिर्फ 400 करोड़ रूपए विज्ञापन पर खर्च होगा तो आम आदमी किस तरह चुनाव में हिस्सा ले पाएगा? आम आदमी की इतनी हैसियत नहीं होती कि वह इतना पैसा खर्च करे।
पीयुष पांडे और प्रसून जोशी से अपील: आशुतोष ने पीयूष पांडे और प्रसून जोशी के बारे में कहा कि ये लोग आम आदमी से जुड़े रहे हैं और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने दोनों से अपील की कि वे भाजपा से सवाल करें कि ये पैसे कहां से आएं वे इस बात का ध्यान रखें कि कहीं वे लोकतंत्र को हाइजैक करने की मुहिम का हिस्सा तो नहीं बन रहे हैं।
भाजपा नेता रामेश्वर चौरसिया ने आशुतोष के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे खर्च की जानकारी नहीं है, लेकिन आशुतोष जी को यह मालूम नहीं है कि हमारे कार्यकर्ता दस-दस रूपयें दें तो भी चार सौ करोड़ रूपए से ज्यादा जमा हो जाएंगे। यह सवाल टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर से उठा है। खबर के मुताबिक भाजपा ने प्रसून जोशी, पीयूष पांडे और दिग्गज मीडिया प्लानर सैम बलसारा को भाजपा के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी ने इसका बजट 400 करोड़ रूपए रखा है। भाजपा द्वारा कथित तौर पर प्रचार पर 400 करोड़ रूपए खर्च किए जाने पर सवाल उठाने वाले आम आदमी पार्टी के प्रवाक्ता आशुतोष पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल उनकी पार्टी के लोग ही उठा रहे हैं। वे आशुतोष को चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव का टिकट देने का विरोध कर रहे हैं। पार्टी के करीब पचास वॉलंटियर्स ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया। तिलक लेन मार्ग स्थित केजरीवाल के आवास पर जुटे प्रदर्शनकारियों ने बाहरी लोगों को टिकट देने का आरोप लगाया। हालांकि आप ने बयान जारी कर कहा कि प्रदर्शनकारी आम आदमी पार्टी के वॉलंयिटर नहीं थे।
आप प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा हमारे वॉलंटियर कपिल सिब्बल के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार चाहते थे और हमने यही किया। जो लोग इसके लिखाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे हमारे वॉलंटियर नहीं हैं। लेकिन टिकट को लेकर बगावत मुंबई में भी हो रही है। दक्षिण मुंबई सीट से बैंकर मीरा सान्याल को टिकट देने का भी विरोध हो रहा है। पार्टी ने 16 फरवरी को 20 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। इस सूची पर पांच अहम कारणों के चलते सवाल उठे थे। केजरीवाल की पार्टी ने उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया में जनता की पूरी तरह अनदेखी की। पिछले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने के लिए पार्टी ने जनता की राय मांगी थी। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया। शुरूआत में अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों से संभावित उम्मीदवारों की एक सूची बेवसाइट पर डाली गई थी, लेकिन सूची उसी रात हटा ली गई। और 16 फरवरी को सीधे अंतिम सूची जारी की गई।
सवाल इसलिए भी राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार बनाए गए कुमार विश्वास तो पहले से ही खुद को अमेठी का उम्मीदवार मान बैठे थे और उन्होंने वहां अपनी चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी थीं। जिस आशुतोष को पार्टी ने दिल्ली के चांदनी चौक से उम्मीदवार बनाया है, वह करीब एक महीना पहले ही पार्टी के सदस्य बनाए गए हैं। उन्हें सदस्य बनते ही प्रवक्ता का पद दिया गया और अब कपिल सिब्बल के खिलाफ उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया है। पार्टी ने जरनैल सिंह को पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया है। यहां से अभी कांग्रेस के महाबल मिश्रा सांसद हैं। इस इलाके में सिख मतदाताओं की बड़ी तादाद है। ऐसे में सवाउ उठ रहा है।