Thursday, September 25

संदेशखाली बना सियासी जंग का मैदान, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखाली सियासी जंग का अखाड़ा बन गया। इलाके में पिछले कुछ दिन से विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। विवाद के केंद्र में स्थानीय तृणमूल नेता शेख शाहजहां, उसके सहयोगी शिबू सरदार और उत्तम हाजरा हैं। इन तीनों पर रात में स्थानीय महिलाओं के यौन उत्पीडऩ और जमीनों पर जबरन कब्जा करने के आरोप हैं। बात राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने संदेशखाली पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपी गई रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। आयोग के प्रमुख अरुण हलदर का कहना है कि राज्य में अपराधियों ने सरकार से गठजोड़ कर लिया है। सोमवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी क्षेत्र का दौरा करने के बाद कहा, राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता। उधर भाजपा ने महिलाओं की सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाते हुए सीएम ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगा है, जबकि टीएमसी ने भाजपा पर सियासी फायदे के लिए विवाद को भडक़ाने का आरोप लगाया।

7 मार्च को बारासात में मोदी की रैली संभव

पीएम नरेंद्र मोदी 7 मार्च को बारासात में रैली को संबोधित कर सकते हैं। बीजेपी पीएम के इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देशभर के हर मंडल में करेगी। इस रैली के माध्यम से बीजेपी बड़ा मैसेज देने का प्रयास करेगी। दूसरी तरफ बढ़ते विवाद के बीच तृणमूल ने रविवार को प्रस्तावित अपनी सार्वजनिक बैठक रद्द कर दी।

सरकार को न्याय करना होगा: राज्यपाल

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि कई महिलाएं उनसे मिलीं और कहा कि उनके साथ उन्हें परेशान किया गया और धमकाया गया, उनके पतियों को पीटा गया। उन्होंने कहा, मैं बिल्कुल स्पष्ट हूं कि सरकार को न्याय करना होगा। जो लोग अब भी वहां असुरक्षित महसूस करते हैं, वे मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

महिलाएं मुझे पकडकऱ रोने लगीं : शर्मा

संदेशखाली का दौरा करने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि मुझे आज करीब 18 शिकायती पत्र मिले हैं। इनमें दो दुष्कर्म के आरोप हैं। बाकी सब यौन उत्पीडऩ हैं, लेकिन वह छेड़छाड़ भी भयानक है। हालात इतने खराब हैं कि यहां की महिलाएं मुझे छोडऩा नहीं चाहती थीं। वे मुझे पकड़ कर रो रही थी। राष्ट्रपति शासन के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचता है।

विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सीबीआइ जांच की मांग वाली पीआइएल खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संदेशखाली मामले की सीबीआइ या एसआइटी से जांच करवाने की याचिका पर विचार करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कलकत्ता हाईकोर्ट पहले से ही इस मामले में स्वत: प्रसंज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी को लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के समन पर अमल व कार्यवाही पर रोक लगा दी। कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस भी जारी किया।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की दो बेंचों ने संदेशखाली को लेकर दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार के डीजीपी राजीव कुमार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई की, जिसमें लोकसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा उन्हें तथा अन्य अधिकारियों को तलब करने को चुनौती दी गई। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर यह नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उन्होंने संदेशखाली जाने से रोकने, कदाचार और चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था।