Friday, September 26

MP की सेहत सुधारने के लिए दो विभागों को मर्ज करेगी मोहन सरकार

राज्य का स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग अब एक होगा। मोहन सरकार ने दोनों विभागों को मर्ज करने का फैसला लिया है। इससे आम आदमी को फायदा होगा। सूबे की सेहत सुधरेगी। दोनों विभागों को मर्ज करने की प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसका मंत्री भी एक ही होगा। अगली बार मुख्य बजट भी एक ही बनेगा। अभी लेखानुदान में इसके अलग-अलग बजट तैयार होंगे। अभी दोनों ही विभाग डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के पास हैं। दरअसल, सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट बैठक में उक्त फैसले पर मुहर लगी। अब मर्ज करने की प्रशासनिक प्रक्रिया होगी।

हर जिले में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज खुलेंगे

कैबिनेट में नई शिक्षा नीति के आधार पर हर जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज खोलने का फैसला भी लिया गया है। इतना ही नहीं, आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अब नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रम शामिल किए जाएंगे। इससे पैरामेडिकल स्टाफ की संया बढ़ेगी। अस्पतालों में इन कर्मचारियों के तैनात होने से इलाज में सुविधा होगी।

विधानसभा व ये भी अहम फैसले रामलला पर चर्चा कैबिनेट में अनौपचारिक रूप से अगले विधानसभा सत्र, राममंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा और लोकसभा चुनाव पर चर्चा हुई। सीएम ने कहा, विधानसभा सत्र के लिए मंत्री तैयारी करें। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर जिलों में चरणबद्ध कार्यक्रम होंगे।

यह भी अहम फैसले

माल एवं सेवा कर अध्यादेश की समय अवधि बढ़ाने को मंजूरी, बजट सत्र में इसका प्रस्ताव व विधेयक विधानसभा में लाएंगे। अशोकनगर के मल्हारगढ़ में 87 करोड़ की लिफ्ट इरिगेशन परियोजना मंजूर, 26 गांवों की 7500 हेटेयर रकबे में होगी सिंचाई। रतलाम जिले में माही जल प्रदाय समूह योजना में मझूडिय़ा समूह के लिए नल जल योजना मंजूरी, खर्च होंगे 204 करोड़ रुपए। जल प्रदूषण अधिनियम में संशोधन, छोटे मामले में कोर्ट जाने की बजाए अफसर ही करेंगे फैसले, यह अधिनियम केंद्र को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। जनजातीय कार्य विभाग के अनुदान प्राप्त अशासकीय शिक्षकों को छठा वेतनमान।

यह होगा फायदा

अब दोनों का बजट एक होगा। चिकित्सा शिक्षा को ज्यादा बजट मिलेगा। कंबाइंड प्रोग्राम चलेंगे। दोनों का स्टाफ एक होने से अधिक अस्पतालों तक अमले की पहुंच बढ़ेगी। अभी पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती में दिकत होती है। मेडिकल कॉलेजों से अस्पतालों का जुड़ाव बढ़ेगा। छोटे शहरों से बड़े शहरों के अस्पतालों में मरीजों को रेफर करना आसान होगा। इलाज में तेजी आएगी। विभागों के खर्च में कमी आएगी।

ये थी दिक्कत

अभी चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग अलग होने से आम आदमी को कई दिक्कतें होती हैं। मेडिकल कॉलेज और उसके अस्पताल के संचालन में कई व्यावहारिक और तकनीकी समस्याएं आती हैं। छोटे शहरों- गांवों से मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मरीज रेफर करने में परेशानी होती है। तकनीकी रूप से मेडिकल स्टूडेंट की अस्पतालों में तैनाती व इंटर्नशिप में अड़चनें आती हैं। चिकित्सा शिक्षा का बजट कम होता है।