भारत में आम चुनाव से पहले अमरीका के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ओपनएआई ने कहा कि वह एआई का इस्तेमाल चुनावी अभियानों में नहीं होने देगा। ओपनएआई ने कहा कि इसके लिए वह ऐसे टूल लाएगी, जिससे डीपफेक वीडियोज, फोटोज और फेक न्यूज को रोका जा सके। हर हाल में चुनाव निष्पक्ष होनी चाहिए।
कई नीतिगत बदलाव किए
एक ब्लॉग पोस्ट में ओपनएआई ने कहा कि उसने आगामी चुनावों के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने में चैटजीपीटी और डल-ई एआइ जैसी एआई आधारित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को रोकने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए हैं। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 2024 में होने वाले चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। हमारा दृष्टिकोण मतदान संबंधी सटीक जानकारी देने, तय नीतियों को लागू करने और पारदर्शिता में सुधार करते हुए अपने प्लेटफॉर्म की सुरक्षा को बनाए रखना है।
ताकि इस प्रक्रिया को कमजोर ना हो
ओपनएआई ने कहा, चुनावों की शुचिता की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हर कोने से सहयोग की आवश्यकता होती है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी प्रौद्योगिकी का उपयोग इस तरह से न किया जाए जो इस प्रक्रिया को कमजोर कर दे। कंपनी ने कहा, हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एआई प्रणाली का निर्माण, क्रियान्वयन और इस्तेमाल सुरक्षित हो। इस साल भारत के अलावा अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव और ब्रिटेन में संसदीय चुनाव होने हैं।
ये हो सकते हैं बदलाव
1. ओपनएआई के मुताबिक यूजर्स चैटजीपीटी के जरिए रियल-टाइम जानकारी हासिल कर सकेंगे। चैटबॉट ने सूचना कहां से ली है, इसके लिए लिंक्स भी अटैच करेगी।
2. ओपनएआई ऐसा टूल लाने जा रही हैं, जिससे एआई से बनाई जाने वाली तस्वीरों की पहचानने में मदद होगी। इसके लिए कंपनी तस्वीरों को एनकोड करेगी। इससे यूजर्स को तस्वीर बनाने वाले और बनाने के समय तक की जानकारी मिल सकेगी।