ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे और आकाशगंगाओं के अध्ययन के लिए भेजी गई ध्रुवणमापी खगोलीय वेधशाला एक्सपोसैट ने लगभग 11 हजार प्रकाश वर्ष दूर एक खगोलीय स्रोत से आ रही एक्स-रे किरणों का पता लगाया है। यह एक्सपोसैट का पहला अध्ययन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि एक्सपोसैट उपग्रह के पे-लोड एक्सपेक्ट (एक्सएसपीईसीटी) ने कैसिओपिया ए सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों से आ रही एक्स-रे किरणों को पकड़ा है। कैसिओपिया ए सुपरनोवा विस्फोट 17 वीं शताब्दी में हुआ था।
इसरो ने कहा है कि, एक्सपोसैट के उपकरणों की जांच के क्रम में एक्सपेक्ट ने इस सुपरनोवा विस्फोट के अवशेष से आ रही एक्स-रे किरणों को पकड़ा। परीक्षण के दौरान एक्सपेक्ट पे-लोड का रुख कैसिओपिया ए की तरफ किया गया। अमूमन ऐसे उपकरणों की जांच के लिए कैसिओपिया ए एक मानक खगोलीय स्रोत है।
5 जनवरी को पहली बार देखा
इसरो ने कहा है कि इसका अवलोकन 5 जनवरी को शुरू हुआ। इस दौरान एक्सपेक्ट पे-लोड ने सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों से आ रहे मैग्नीशियम, सिलिकॉन, सल्फर, आर्गन, कैल्शियम और आयरन जैसे तत्वों के उत्सर्जन को पकड़ा। इससे यह विश्वास जगा है कि, यह खगोलीय वेधशाला शानदार ढंग से काम कर रही है और आने वाले दिनों में कई दुर्लभ स्रोतों का पता लगाने में सक्षम होगी।
एक्सपोसैट में दो पे-लोड हैं। इनमें से एक एक्स-रे ध्रुवणमापी उपकरण (पोलिक्स) है जो 8 से 30 केईवी ऊर्जा बैंड में खगोलीय प्रेक्षण करेगा। यह पे-लोड एक्स-रे किरणों के ध्रुवीकरण पर फोकस करेगा। वहीं, एक्सपेक्ट में स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग पे-लोड है। इसका विकास बेंगलूरु स्थित प्रोफेसर यूआर राव उपग्रह केंद्र ने किया है।
उपग्रह से एक्स-रे स्रोतों का पता लगाया जा सकेगा
इसरो ने कहा है कि इस उपग्रह से अंतरिक्ष से आने वाले एक्स-रे स्रोतों का पता लगाया जा सकेगा। ये एक्स रे किस आकाशीय पिंड से आ रही है, इसके बारे में भी जानकारी मिलेगी। इसके अलावा, ब्लैक ***** की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद के बचे हिस्से), आकाशगंगा में मौजूद नाभिक को समझने में भी मदद मिलेगी। इसरो ने एक्सपोसैट का प्रक्षेपण इसी वर्ष 1 जनवरी को किया था। यह मिशन पांच साल के मिशन पर भेजा गया है।