दुनिया में मौजूद तमाम खतरों के बीच आशंका है कि 20 देशों में अगले साल मानवीय संकट की स्थिति और खराब हो जाएगी। इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) की इमरजेंसी वॉचलिस्ट रिपोर्ट में सूडान को इन हालातों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील माना गया है। इसके बाद इजरायली हमले की वजह से कब्जे वाले फिलीस्तीनी क्षेत्रों और दक्षिणी सूडान पर संकटों के बादल घिरे रहने की आशंका है। यह रिपोर्ट उस समय आई है जब इस साल मानवीय सहायता की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या बढ़कर 30 करोड़ हो गई और विस्थापितों की तादाद का आंकड़ा 11 करोड़ पहुंच गया।
उप-सहारा अफ्रीका के नौ देशों पर भारी संकट
जलवायु परिवर्तन, सशस्त्र संघर्ष और बढ़ते कर्ज के बोझ से 2024 में दुनियाभर में मानवीय संकट बढ़ जाएगा। मानवीय स्थिति बिगड़ने की आशंका वाले देशों में उप-सहारा अफ्रीका के नौ देशों के साथ-साथ एशिया में म्यांमार और अफगानिस्तान, मध्य पूर्व में सीरिया, लेबनान और यमन, यूरोप का यूक्रेन, दक्षिण अमरीका का इक्वाडोर और कैरेबियन में हैती शामिल हैं। जबकि कुछ अफ्रीकी देशों ने जीवनस्तर में तेजी से सुधार किया है लेकिन फिर भी संघर्ष, तख्तापलट और गरीबी जैसी समस्याएं खतरनाक स्तर पर बढ़ रही हैं, वहीं अल नीनो मौसम की घटनाएं चरम जलवायु के लिए खतरा हैं।
तस्करी से बढ़ रहा इक्वाडोर पर आर्थिक दबाव
हिंसक अपराध में वृद्धि के कारण कई वेनेजुएला शरणार्थियों का घर इक्वाडोर पहली बार इस सूची में शामिल हुआ है। देश में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी व्याप्त है और महामारी व जलवायु जोखिमों ने इसे आर्थिक रूप से कमजोर किया है। हैती में लगभग आधी आबादी को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और इसकी संभावना कम ही है कि शक्तिशाली सशस्त्र गिरोहों से लड़ने में पुलिस की मदद करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों से अगले साल स्थितियों में कुछ सुधार होगा।
एक्सपर्ट व्यू : कई मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत
यह सबसे बुरा समय है। दुनियाभर में बढ़ते मानवीय संकट के बीच जलवायु अनुकूलन, महिला सशक्तीकरण और विस्थापित लोगों के लिए समर्थन जैसे कार्यों पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है।
— डेविड मिलिबैंड, आईआरसी प्रमुख
खतरों के ढेर पर बैठे 20 देशों के हालात
– 10.6% आबादी का प्रतिनिधित्व ये देश करते हैं।
– 86% लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
– 75% को जबरन घरों से विस्थापित होना पड़ा है।
– 30% आबादी भीषण गरीबी का सामना करने को मजबूर।
– 68% लोग गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित हैं।