Thursday, September 25

बीजेपी और कांग्रेस दोनों के गणित बिगाड़नेवाली एमपी की 10 गेमचेंंजर सीटें

भोपाल. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में महज 5 माह शेष हैं। इन चुनावों में प्रदेश की चंद सीटें गेमचेंजर साबित हो सकती हैं। इन सीटों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के गणित बिगाड़ दिए थे। जाहिर है कि दोनोें दल अब इन सीटों पर ही सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं। हालांकि बाद में सत्ता परिवर्तन के बाद जरूर समीकरण बदले पर उपचुनाव के बाद के परिणामों के आधार पर भी इन सीटों पर दोनों पार्टियों का फोकस है।

ये वो सीटें हैं जो पिछली बार एक हजार वोट या उससे कम अंतर से जीत-हार के दायरे में आई। भाजपा के लिए सात ऐसी सीटें रहीं जो एक हजार से कम वोट से हार वाली थी जबकि भाजपा को सत्ता के लिए भी महज सात सीटें ही चाहिए थी। दूसरी तरफ सत्ता के लिए महज दो सीट की आवश्यकता वाली कांग्रेस ने तीन सीटें एक हजार से कम वोट से गंवा दी थी। इसलिए सारे समीकरण कम जीत.हार के खेल ने बिगाड़ दिए।
इस बार इसी कारण भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां कम जीत.हार वाले अंतर की सीटों पर खास ध्यान दे रहे हैं। ऐसी सीटों के लिए अलग से रणनीति बनाई गई है। दोनों ओर ऐसी सीटों पर मुख्यालय से भी मानीटरिंग करना तय किया गया है।
ज्यादा वोट के बाद भी गंवाई सरकार, ऐसा था जीतहार का गणित
2018 के चुनाव में कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट व 114 सीटें मिली थी। भाजपा को 41 प्रतिशत व 109 सीटें मिलीं। 15595153 वोट कांग्रेस व भाजपा को 15642980 वोट मिले थे। दोनों में 47817 वोटों का अंतर था।
भाजपा सात सीट
2018 के चुनाव में करीब सात सीटों पर कम वोट के अंतर से हार भाजपा को भारी पड़ गई थी। ग्वालियर दक्षिण, सुवासर्रा, जबलपुर उत्तर, राजनगर, दमोह, ब्यावरा, राजपुर सीट पर भाजपा 1000 से कम वोट से हार गई थी। भाजपा 2018 के चुनाव के परिणामों को लेकर अलर्ट है। मसलन सुवासरा सीट पर उपचुनाव में भाजपा से हरदीप सिंह डंग भारी वोटों से जीते लेकिन पहले ये सीट चंद वोटों से भाजपा ने खो दी थी। अब हर कम अंतर वाली सीट भाजपा के फोकस में है।
कांग्रेस तीन सीट
2018 के चुनाव में कांग्रेस ने सरकार तो बना ली थी लेकिन कम जीत.हार के अंतर वाली सीटों के कारण ही सीटों की जमकर खींचतान हुई। कांग्रेस ने 114 सीट जीतीं जबकि सत्ता के लिए 116 सीटें चाहिए थीं। कांग्रेस को महज दो सीट चाहिए थी जबकि कांग्रेस तीन सीट एक हजार से कम वोट से हार गई थी। इसमें जावरा, बीना और कोलारस सीट थी। यदि ये सीटें कांग्रेस के पास होती तो 2018 में सत्ता के लिए उस समय बसपा, सपा व निर्दलीयों की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं 5 हजार से कम जीत.हार की करीब दो दर्जन सीटें कांग्रेस के पास थी। इसलिए ऐसी सीटों पर ज्यादा फोकस है।
सिंधिया की वजह से सत्ता परिवर्तन ने बदले समीकरण
कम जीत.हार वाली सीटों के समीकरणों को भी दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के सत्ता परिवर्तन ने बदल दिए हैं। ग्वालियर.चंबल की सभी सीटों पर सिंधिया का सीधा असर रहा। वहीं 28 सीटों पर उपचुनाव हुए इनमें 19 सीट भाजपा और 9 सीट कांग्रेस जीती थी। इसमें सुवासरा जैसी सीट शामिल रही।