गुजरात की सूरत कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सांसदी भी चली गई। इसके साथ ही 22 अप्रैल को राहुल गांधी को सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा गया था। जिसके बाद राहुल गांधी ने 12 तुगलक लेन वाले अपने सरकारी आवास से सारा सामान शिफ्ट कर दिया है। शुक्रवार को भी उनके आवास के बाहर ट्रक लगे थे, जिससे सामान शिफ्ट किए जा रहे थे। आवास खाली होने के बाद आज राहुल गांधी सरकारी बंगला खाली कर देंगे। सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी खुद अधिकारियों को सरकारी आवास की चाबी सौंपेंगे। बता दें कि राहुल गांधी ने 14 अप्रैल को अपने कार्यालय और कुछ निजी सामान को सरकारी आवास से अपनी मां सोनिया गांधी के आधिकारिक आवास में शिफ्ट कर लिया है। राहुल गांधी पहली बार 2004 में उत्तर प्रदेश के अमेठी से सांसद चुने गए और 2019 में उन्होंने वायनाड से लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी।
खुद अधिकारियों को सौंपेंगे चाबी
राहुल गांधी शनिवार 22 अप्रैल को 12, तुगलक लेन स्थित बंगला लोकसभा सचिवालय को सौंप देंगे। बंगला खाली करने की समय सीमा पूरी हो रही है। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी खुद संबंधित संपत्ति विभाग के अधिकारियों को चाबियां सौंपेंगे। राहुल की बहन प्रियंका गांधी ने भी लोधी एस्टेट हाउस खाली करते समय ऐसा किया था। साल 2020 में प्रियंका गांधी से भी सरकारी आवास खाली करवाया गया था।
करीब दो दशक से बंगले में रहे थे कांग्रेस नेता
सूत्रों ने कहा कि गांधी ने शुक्रवार शाम को अपने बचे हुए सामान को उस बंगले से हटा दिया। यह बंगला उन्हें एक सांसद के रूप में आवंटित किया गया था। एक ट्रक को उनके सामान के साथ इमारत से बाहर जाते देखा गया। वह करीब दो दशक से इस बंगले में रह रहे थे। अपना कार्यालय बदलने के बाद, वह पहले से ही अपनी मां और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ उनके 10, जनपथ स्थित आवास पर रहना शुरू कर चुके हैं।
22 अप्रैल तक करना है खाली
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को मोदी उपनाम से संबंधित मामले में टिप्पणी को लेकर दो साल की सजा सुनाई गई थी। सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उनसे 22 अप्रैल तक परिसर खाली करने के लिए कहा गया था। कांग्रेस के पूर्व प्रमुख ने 14 अप्रैल को अपने कार्यालय और कुछ निजी सामान को बंगले से स्थानांतरित कर दिया था। बता दें कि सूरत की एक अदालत ने 23 मार्च को गांधी को मानहानि का दोषी ठहराया था और उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद वह सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए गए थे।