प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात स्थित एकतानगर में आयोजित कानून मंत्रियों और सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान पीएम ने न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका पर संविधान की सर्वोच्चता को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने न्याय व्यवस्था के विभिन्न पहलू और उनमें उपयुक्त बदलाव लाने संबंधी विषयों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कानून की भाषा सरल होनी चाहिए, ताकि आम आदमी को इससे डर न लगे। संविधान की सर्वोच्चता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का मूल है।
’21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है’ – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार हो, संसद हो, हमारी अदालतें हों, तीनों एक तरह से एक ही माँ की संतान हैं। इसलिए भले ही कार्य अलग-अलग हों, अगर हम संविधान की भावना को देखें, तो तर्क या प्रतिस्पर्धा की कोई गुंजाइश नहीं है। मां के बच्चों की तरह तीनों को मां भारती की सेवा करनी है, साथ में 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।”
‘क्षेत्रीय और आसान भाषा में हो कानून’ – पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कानून की स्थिति और न्याय व्यवस्था को लेकर कहा कि कानून आसान और क्षेत्रीय भाषा में होने चाहिए, ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी नए कानून को समझ सके। इस दौरान उन्होंने लोक अदालतों को लेकर कुछ राज्यों की तारीफ की है। पीएम ने कहा कि इन्हें जल्दी न्याय दिलाने के लिए स्थापित किया गया था।
‘तकनीक हमारी न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग’ – पीएम मोदी
लोक अदालतों के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “ये देश में त्वरित न्याय का एक माध्यम बनी है। कई राज्यों में इस दिशा में बहुत सा काम हुआ है। इससे बीते वर्षों में लाखों मामलों को सुलझाया गया है।” पीएम ने तकनीक की भूमिका को स्वीकारते हुए कहा कि आज यह हमारी न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग बन गई है। इससे कोरोना काल में भी हमें लाभ -मिला। आज देश में ई-कोर्ट मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।”
सम्मेलन का उद्देश्य
कानून मंत्रियों और सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल भी शामिल हुए थे। इस दो दिन के सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं को भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के जरिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, नए विचारों का आदान-प्रदान करने और अपने आपसी सहयोग में सुधार करने में सक्षम होंगे।