उत्तराखंड में हिमस्खलन स्थल से रेस्क्यू दल ने अब तक 19 पर्वतारोहियों के शव बरामद किए है। चार को मातली हेलीपेड पर लाया जा सकता है और 15 को एडवांस बेस कैंप में रखा गया है। बताया रहा है कि 10 लोग अभी भी लापता है। यह हादसा उत्तरकाशी के डोकराणी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में हुआ है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) के पर्वतारोहियों के एक दल के उत्तरकाशी में हिमस्खलन में फंस गया था। पर्वतारोही चढ़ाई के बाद लौटते समय 17 हजार फुट की ऊंचाई पर द्रौपदी का डांडा-द्वितीय चोटी पर मंगलवार को हिमस्खलन की चपेट में आ गये थे।
बर्फबारी बन रही रेस्क्यू में बाधा
घटना स्थल बहुत अधिक ऊंचाई पर है। रेस्क्यू के लिए सुबह धूप आने तक का समय बेहतर रहता है। सूरज निकलने के बाद भी कोहरा रहता है। साथ ही यहां पर हर पल मौसम भी बदल रहा है। बृहस्पतिवार को भी यहां बर्फबारी हुई। ऐसे में रेस्क्यू में परेशानी हो रही है।
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी का रेस्क्यू जारी
आपको बता दें कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए निकले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के दल में से 29 सदस्य रविवार को डोकराणी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गए थे। गुरुवार सुबह करीब साढ़े सात बजे से घटना स्थल पर रेस्क्यू अभियान शुरू हुआ। पैदल गई एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी की टीम बुधवार को घटना स्थल से तीन घंटे की दूरी तक पहुंच गई थी। घटना स्थल पर निम के 42, आईटीबीपी के 12, एसडीआरएफ के 8, हाई एल्टीट्यूट वार फेयर स्कूल गुलमर्ग (हॉज) के 14 व सेना के 12 सदस्य रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए हैं।
17,000 फुट की ऊंचाई पर हुआ हादसा
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में माउंट द्रौपदी का डांडा-2 शिखर पर मंगलवार को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की 41 सदस्यीय टीम के हिमस्खलन की चपेट में आ गए है। बिष्ट ने कहा कि हिमस्खलन सुबह करीब पौने नौ बजे लगभग 17,000 फुट की ऊंचाई पर तब हुआ जब उत्तरकाशी स्थित ‘निम’ के 34 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों और सात प्रशिक्षकों का एक दल शिखर से वापस लौटने वाले थे।