विदिशा. जिले पर शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास जैसे विभागों की कार्यशैली से पिछड़ेपन का दाग लगा हुआ है। इस दाग को धोने के लिए यूं तो पहले भी कई प्रयास किए गए, लेकिन नतीजे सिर्फ कागजों में ही रहे। इस बार शिक्षा में सिर्फ गुणवत्ता पर जोर देते हुए आज से अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसके लिए शिक्षा विभाग ने 70 टीमें बनाकर जिले के सरकारी स्कूलों की सख्त मानीटरिंग के लिए झौंक दी हैं। ये टीमें आकस्मिक नहीं, बल्कि स्कूलों में पूर्व नियोजित तारीख और समय पर जाएंगी और देखेंगी कि स्कूलों का रिकार्ड ठीक है कि नहीं, बच्चों को उनके स्तर के अनुरूप लिखना-पढ़ना आता है कि नहीं, और अगर नहीं आता है कि शिक्षकों को एक तय समय सीमा दी जाएगी जिससे वे उस कक्षा के स्तर के अनुरूप बच्चों को तैयार कर सकें। आकांक्षी जिले में चुनिंदा विभागो की योजनाओं को पूरी तरह लागू करने और उनकी मॉनीटरिंग का काम कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने जिला पंचायत सीईओ डॉ योगेश भरसट को सौंप रखा है। डॉ भरसट ने स्कूलों में गुणवत्ता सुधारने के लिए डिप्टी कलेक्टर अमृता गर्ग को जिम्मेदारी सौंपी है।
तय बिन्दुओं पर होगी जांच, फिर होगी समीक्षा
मौके पर जाकर जांच करने वाली टीमें हर स्कूल में पहले से तय मानकों के अनुरूप स्कूल की गुणवत्ता परखेंगे। इसमें सबसे प्रमुख बच्चों को उस समय तक तय कोर्स की तैयारी कराई या नहीं? होमवर्क का मूल्यांकन हुआ या नहीं? बच्चे को उसकी कक्षा के स्तर का लिखना पढ़ना आता है या नहीं? आदि अनेक बिन्दुओं पर फोकस रहेगा। इर बिन्दु के लिए अंक तय किए गए हैं, जांच पूरी होने पर इसके आधार पर स्कूलों की ग्रेडिंग तय होगी और फिर ब्लॉक स्तर पर इस जांच की समीक्षा की जाएगी।
अपने संकुल में जांच दल में शामिल नहीं होंगे प्राचार्यस्कूलों की जांच के लिए जो दल गठित किए गए हैं, उनमें संकुल प्राचार्य भी शामिल किए गए हैं, लेकिन यह ध्यान रखा गया है कि संकुल प्राचार्य अपने संकुल की जांच टीम में शामिल नहीं होगे, जांच के लिए उनका संकुल बदल दिया गया है। ब्लॉक स्तर पर समीक्षा के बाद स्कूलों की जो हकीकत सामने आएगी उसे जिला पंचायत सीईओ के समक्ष रखा जाएगा और फिर शिक्षकों को पहले चरण में एक निश्चित समय उन कमियों को पूरा करने के लिए दिया जाएगा।