लहनुस, प्याज में किसानों की लागत नहीं निकल पा रही है। अब इन उद्यानिकी फसलों से मुंह मोडऩे का मन बना लिया है। लहसुन 1 से 3 रुपए किलो बिक रहा है। लहसुन की बंपर उत्पादन होने के बाद भी किसान परेशान हैं। क्योंकि किसानों को मंडियों में लहसुन के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। व्यापारी 100 से लेकर 400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों से लहसुन खरीद रहे हैं। एक क्विंटल फसल की लागत करीब 3 से 4 हजार रुपए के बीच किसान को आती है। डीजल के दाम भी अधिक हैं ऐसे में किसान को मंडी आने में काफी नुकसान है।
ऐसे बिगड़ा किसानों का गणित: किसानों पिछले साल की तुलना में इस साल लहुसन की खेती का रकबा बडा कर बो दिए जिसे बाजार में माल बढ गया। मौसम के कारण इस बार फसलों में रोग से गुणवत्ता खराब हुई और दाम गिरे। कही जगह लहसुन में फफूंद लगी गई जो खेतो में ही खराब हो गई।
पहले तो लागत निकल जाती थी मगर आज तो मजदूरी निकालना भी कठिन साबित हो रहा है। हमने उपज तो लगा दी मगर आज उसका मंडी में भाव नहीं मिल रहा है जिससे हमें आने ले जाने का भाड़ा तक नहीं निकल रहा है। कैसे खेती को लाभ का धंधा बनाएंगे जब किसानों के घर में फसल पककर आती है और जब बाजारों में सरकार बाहर से माल बुलवा लेती है या निर्यात पर रोक लगा देते है और किसानों का फसल गोदामों में रखी रह जाती है। महीनों तक भाव बढऩे का इंतजार कर रहे हैं। इस बार भी लहसुन का भाव नही आया।
लहसुन की खेती करने पर करीब तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की लागत आती है। प्याज की हालत भी खराब है। इसकी लागत करीब दो हजार रुपए प्रति क्विंटल आती है, लेकिन इस समय भाव 500 से 800 रुपए प्रति क्विंटल ही है। किसानों की मांग है कि लहसुन, प्याज का निर्यात होना चाहिए। सरकार भावांतर योजना का लाभ किसानों को दे।
किसान की उपज बेचने का समय आता है। जब बाजारों से भाव गायब हो जाता है। जब किसान के पास उपज नहीं रहती है तो बाजार में भाव दोगुना हो जाता है, किसान को अब खेती करना ही दुश्वार हो गया। लगातार दो सालों से हमें लहसुन की फसल में घाटा ही उठाना पड़ रहा है।