Saturday, October 4

1 रुपए किलो बिक रही लहसुन, किसान बोले-उत्पादन में लगे 3 हजार रुपए क्विंटल

लहनुस, प्याज में किसानों की लागत नहीं निकल पा रही है। अब इन उद्यानिकी फसलों से मुंह मोडऩे का मन बना लिया है। लहसुन 1 से 3 रुपए किलो बिक रहा है। लहसुन की बंपर उत्पादन होने के बाद भी किसान परेशान हैं। क्योंकि किसानों को मंडियों में लहसुन के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। व्यापारी 100 से लेकर 400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों से लहसुन खरीद रहे हैं। एक क्विंटल फसल की लागत करीब 3 से 4 हजार रुपए के बीच किसान को आती है। डीजल के दाम भी अधिक हैं ऐसे में किसान को मंडी आने में काफी नुकसान है।

मंडियों में 1 से 10 रुपए किलो : बुवाई के समय लहसुन के दाम 8 से 10 हजार रुपए किलो चल रहे थे। इस कारण किसानों की अच्छी बुवाई की थी, लेकिन अब दाम काफी गिर गए हैं। मंडियों में 1 से 10 रुपए किलो बिक रहे हैं। औसम दाम 3 रुपए किलो रह गए हैं। किसानों ने बताया कि जब बुवाई की उस वक्त लहसुन में जोरदार तेजी थी। अब जब फसल घर में लाए तो लहसुन में मेहनत भी नहीं निकल पाने से किसान परेशान हो रहे।
लहुसन की फसल खराब होने का डरअजीत पटेल ने बताया लहसुन को रोक रखा है। इस वक्त मंडियों में भाव नहीं मिलने की वजह से घरों गोदामों में लहसुन को रख रखा है। जब अच्छा भाव आएगा तब लहसुन को बेचेंगे। अब बारिश के चलते खराब होने का डर भी सता रहा है। सरकार द्वारा निर्यात पर रोक लगाने से लहुसन व अन्य फसलों का दाम नहीं मिल रहा। इस कारण किसान काफी नाखुश है। वह सरकार अगर निर्यात खोलती है तो लहसुन की फसलों के भाव भी चमकेंगे व किसानों को फायदा होगा। इस साल लहसुन की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान हो रहा था। इसकी वजह से क्षेत्र के किसान बेहद परेशान हैं।

ऐसे बिगड़ा किसानों का गणित: किसानों पिछले साल की तुलना में इस साल लहुसन की खेती का रकबा बडा कर बो दिए जिसे बाजार में माल बढ गया। मौसम के कारण इस बार फसलों में रोग से गुणवत्ता खराब हुई और दाम गिरे। कही जगह लहसुन में फफूंद लगी गई जो खेतो में ही खराब हो गई।

फसल की लागत बढ़ी, फायदा कम हुआएक बीघा में दो से तीन क्विंटल चौपाई लगती है। इसको किसान से खरीदी 8 से 10 हजार रुपए का बीज लगाया जाता है। उसको 300 रुपए रोज की मजदूरी में चौपाई की किसान शुरुआत से लेकर उसे दवाई से निकालने तक कुल खर्च 35 से 40 हजार रुपए के बीच का होता है। जो कि एक बीघा में लगता है। एक बीघा में किसान 15 से 16 क्विंटल तक उत्पादन करते हैं। मगर आज के मंडी भाव 1 रुपए से 1500 सौ रुपए क्विंटल तक ही किसान अपनी लहसुन बेच पा रहे हैं।
पहले तो लागत निकल जाती थी मगर आज तो मजदूरी निकालना भी कठिन साबित हो रहा है। हमने उपज तो लगा दी मगर आज उसका मंडी में भाव नहीं मिल रहा है जिससे हमें आने ले जाने का भाड़ा तक नहीं निकल रहा है। कैसे खेती को लाभ का धंधा बनाएंगे जब किसानों के घर में फसल पककर आती है और जब बाजारों में सरकार बाहर से माल बुलवा लेती है या निर्यात पर रोक लगा देते है और किसानों का फसल गोदामों में रखी रह जाती है। महीनों तक भाव बढऩे का इंतजार कर रहे हैं। इस बार भी लहसुन का भाव नही आया।
-परसराम पटेल, किसान अनारद3 से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल की लागत

लहसुन की खेती करने पर करीब तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की लागत आती है। प्याज की हालत भी खराब है। इसकी लागत करीब दो हजार रुपए प्रति क्विंटल आती है, लेकिन इस समय भाव 500 से 800 रुपए प्रति क्विंटल ही है। किसानों की मांग है कि लहसुन, प्याज का निर्यात होना चाहिए। सरकार भावांतर योजना का लाभ किसानों को दे।

-नारायण डोडिया, किसानफेंकने को मजबूर

किसान की उपज बेचने का समय आता है। जब बाजारों से भाव गायब हो जाता है। जब किसान के पास उपज नहीं रहती है तो बाजार में भाव दोगुना हो जाता है, किसान को अब खेती करना ही दुश्वार हो गया। लगातार दो सालों से हमें लहसुन की फसल में घाटा ही उठाना पड़ रहा है।

-राजेश लववंशी, किसान, सकतली