Wednesday, October 1

लड़के-लड़की की प्रेम कहानी में जमकर चले पत्थर, 300 लोग घायल, 16 की मौत

छिंदवाड़ा. एक लड़के-लड़की की प्रेम कहानी में शनिवार को दो पक्षों के बीच जमकर पत्थर चले, कई घंटों तक एक सैंकड़ों लोगों ने एक दूसरे के ऊपर जमकर पत्थर बरसाए, जिससे चंद घंटों में 300 से अधिक लोग घायल हो गए, जिन्हें एंबुलेंस के साथ ही लोगों के निजी दो पहिया और चार पहिया वाहनों से अस्पताल पहुंचाया, जहां घायलों का उपचार आज भी चल रहा है।

जानकारी के अनुसार पांढुर्ना गांव के एक लड़के को नदी पार दूसरे छोर पर स्थित गांव की एक लड़की से प्यार हो गया था, लेकिन उनके इस प्रेम प्रसंग से दोनों गांव के लोगों को काफी एतराज था, जिसके चलते दोनों गांव के लोग इस प्रेम कहानी के विरोध में थे, बताया जाता है एक बार दोनों गांव के लोगों का विरोध झेलते हुए जब लड़का लड़की भाग रहे थे, तब दोनों पक्षों की ओर से जमकर पथराव हुआ था, इसी पथराव में लड़के-लड़की की मौत बीच नदी में हो गई थी, ये कहानी करीब 300 साल पुरानी बताई जाती है, बस तभी से ये प्रेम कहानी इस गांव की परंपरा बन गई, हैरानी की बात तो यह है कि आज भी दोनों गांव के लोग इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं, जिसमें हर साल सैंकड़ों लोग घायल होते हैं।

कोई पक्ष ने नहीं डाली आज तक रिपोर्ट

हैरानी की बात तो यह है कि ये परंपरा सालों से चली आ रही है, जिसमें हर साल सैंकड़ों लोग घायल होते हैं, प्रशासन लोगों को अस्पताल ले जाने और उनके उपचार की व्यवस्था भी करता है, लेकिन हैरानी की बात है कि आज तक दोनों पक्षों के लोगों में से किसी ने भी किसी के भी खिलाफ आज तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है, जबकि बताया जाता है कि इस खूनी खेल में आज तक करीब 16 लोगों की मौत हो गई है। हालांकि बीच में कुल कलेक्टरों ने इस पंरपरा को रोकने की शुरूआत की थी, उन्होंने पत्थरों की जगह रबर की गेंदें रखी थी, लेकिन ग्रामीण ने परंपरा अनुसार ही पत्थर चलाए, ये परंपरा सदियों से आज तक चली आ रही है शनिवार यानी 27 अगस्त 2022 को इसमें शामिल करीब 300 ग्रामीण घायल हो गए, जिसमें से कई तो गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

पांढुर्ना में शनिवार को गोटमार मेला का आयोजन किया गया। परम्परा के नाम पर सुबह से शाम तक जमकर पत्थर चले। पत्थर लगने से 300 लोग घायल हो गए। घायलों में आठ की हालत गम्भीर है। तीन लोगों को नागपुर रैफर किया है।

सांवरगांव पक्ष की ओर से सुबह पूजा पाठ कर पलाश रूपी झंडे को जाम नदी के बीचों बीच गाड़ा गया। इसके कुछ देर बाद सांवरगांव और पांढुर्ना के बीच पत्थरों की बौछार प्रारम्भ हुई। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी में दोनों ओर से पत्थर चलाए गए। दोपहर तक कुल 135 लोग घायल हो चुके थे। प्रशासन ने सात एम्बुलेंस खड़ी कर रखी थी, इसके बाद भी घायलों को एम्बुलेंस नहीं मिली। मजबूरी में उन्हें निजी दोपहिया और चौपहिया वाहनों से ही पांढुर्ना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। दोपहर 3.40 बजे पांढुर्ना पक्ष के लोगों ने झंडा तोड़ दिया। इसके बाद झंडे को हासिल करने के लिए दोनों ओर से जमकर पत्थर चलाए गए। शाम 4.34 बजे सांवरगांव के लोगों ने पांढुर्ना पक्ष को झण्डा सौंप दिया, जिसके बाद उसे उसे चंडी माता मंदिर में चढ़ाकर पूजा अर्चना की गई। बताया जा रहा है कि वर्षों बाद पांढुर्ना पक्ष के लोगों ने झण्डा तोडऩे में सफलता प्राप्त की है।

कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन और एसपी विवेक अग्रवाल ने सांवरगांव और पांढुर्ना में बनाए गए चिकित्सा केन्द्रों का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने चिकित्सकों से मिलकर चर्चा की। पिछले साल अस्पतालों में चिकित्सकों ने अभद्रता की शिकायत मिली थी। दोनों अधिकारियों ने मेले में पैदल चलकर निरीक्षण किया।

ड्रोन कैमरे की रही नजर

तीसरी आंख कहे जाने वाले ड्रोन कैमरने ने गोफन चलाने वालों को खबरदार किया। दरअसल मेले में ड्रोन कैमरे से गोफन चलाने वालों पर नजर रखी जा रही थी। जिसका असर मेले में दिखाई दिया। पहले ही प्रशासन ने सतर्क किया था कि गोफन चलाते पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

चंडी माता मंदिर में हजारों भक्तों ने टेका माथा

गोटमार खेल में चंडी माता का आशीर्वाद लेकर ही खिलाड़ी खेलने पहुंचते है। मेले के दिन चंडी माता के मंदिर में दिनभर हजारों भक्तों ने माथा टेका। पूजा पाठ की प्रसाद बांटा। गोटमार मेले के खिलाड़ियों की आस्था माता चंडी में है। इस मौके पर मंदिर की आकर्षक साज-सज्जा कर मेला शांति से संपन्न हो इसकी कामना से हवन पूजन हुआ।