Tuesday, September 30

शिवराज सिंह बोले- 2023 का लक्ष्य ‘अबकी बार 200 पार’

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) ने कहा है कुशाभाऊ ठाकरे हमेशा लक्ष्य के हिसाब से काम करने को कहते थे। व्यक्तिगत रूप से और पार्टी के स्तर पर भी लक्ष्य रखकर ही काम करना चाहिए। यदि लक्ष्य पूरे नहीं हो तो दुखी भी नहीं होना चाहिए, फिर से जुट जाना चाहिए। हमें भी हमेशा लक्ष्य के काम करना चाहिए। हम लक्ष्य रखेंगे अबकी बार 200 पार। इसमें क्या दिक्कत है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में जनसंघ के संस्थापक सदस्य, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे (kushabhau thakre) की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे के संघर्ष और उनके व्यक्तित्व के बारे में कहा कि उनका व्यक्तित्व हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। कार्यक्रम में संगठन के हितानंद शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद थे। उन्होंने उदाहरणों से लक्ष्य के बारे में समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार ठाकरेजी लक्ष्य बनाकर काम करने की प्रेरणा देते थे, तो क्यों न इस बार हम भी लक्ष्य बनाकर काम करे, अबकी बार 200 पार। इसमें क्या दिक्कत है?

चौहान ने कहा कि कृष्ण भगवान ने कंस को मारा, लेकिन खुद गद्दी पर नहीं बैठे। कन्हैया बनाते रहे पर बने कभी नहीं। इसी प्रकार ठाकरेजी ने भी दिनरात मेहनत कर संगठन खड़ा किया और सरकार में पार्टी को ले आए। वो मुख्यमंत्री बनाते रहे, लेकिन खुद कभी नहीं बने। हमें अपेक्षित अवसर न मिले तो मन दुखी होता है। मनभेद भी हो जाते हैं, लेकिन ठाकरेजी का जीवन देखें, तो उन्होंने कभी किसी पद के लिए विचार ही नहीं किया। जबकि कोई भी पद उनके व्यक्तित्व से बड़ा हो ही नहीं सकता।

ठाकरे जी का जीवन देखें, तो पाते हैं कि कुशाभाऊ जी का जीवन भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरित था। उन्होंने कभी स्वयं के लिए कुछ करने के बजाए दूसरों को ही बनाया, अवसर दिया। चौहान ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो हर परिस्थिति में एक समान हो वही मुझे प्रिय है। ठाकरे जी का जीवन इसका अनुपम उदाहरण है। वह जीत-हार सभी परिस्थितियों में एक समान रहे और संगठन को गढ़ते रहे।

जब सभी को अनुशासित कर दिया था

मुझे याद है जब डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने गए तब हजारों कार्यकर्ताओं के जोश को आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरे जी के एक वाक्य ने अनुशासित कर दिया था। उनके आदेश पर सभी कार्यकर्ता अनुशासित हो गए थे। ठाकरे जी का जीवन संगठन को गढ़ने और कार्यकर्ताओं के संरक्षण के लिए समर्पित रहा। उनके साथ अनेकों स्मृतियां हैं, जब उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिए स्वयं भी छोटा से छोटा काम करने में भी परहेज नहीं किया। चौहान ने कहा कि किसी भी परिस्थिति का प्रभाव हमारे मन, संकल्प पर नहीं पड़ना चाहिए। हर परिस्थिति में जो लक्ष्य के प्रति अग्रसर हो, वही सच्चा कर्म योगी है। श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी का जीवन इसे चरितार्थ करता अनुपम अध्याय है।