जबलपुर। मध्य प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीडीएस के वाहनों में जीपीएस ट्रेकिंग डिवाइस अनिवार्य किए जाने की मांग का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन मध्य प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
जनहित याचिकाकर्ता अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के सचिव मुकेश कुमार पांडे की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उन वाहनों में जीपीएस ट्रेकिंग डिवाइस अनिवार्य की जानी चाहिए, जिनका संबंध पीडीएस सामग्री के परिवहन से होता है। इस सिलसिले में संलिप्त के साथ-साथ अनुबंधित वाहनों को भी दायरे में रखना चाहिए। साथ ही जीपीएस के लिए कमांड व कंट्रोल सेंटर भी स्थापित व संचालित किया जाना आवश्यक है। ऐसा करने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनुशासन लागू हो जाएगा। किसी तरह की अनियमितता की आशंका शून्य हो जाएगी। बहस के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि समय-समय पर पीडीएस में घोटालों के मामले सामने आते रहे हैं। इस समस्या को न्यून करने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल वक्त का तकाजा है।
हाई कोर्ट के आदेशानुसार रेलवे स्ट्रेशनों व ट्रेनों में खराब खाद्य सामग्री पर अंकुश लगाएं :
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार रेलवे स्टेशनों व ट्रेनों में खराब खाद्य सामग्री के विक्रय पर ठोस अंकुश सुनिश्चित करने पर बल दिया है। प्रांताध्यक्ष डा.पीजी नाजपांडे ने बताया कि खराब खान-पान की शिकायत संबंधी जनहित याचिका का हाई कोर्ट ने इस निर्देश के साथ पटाक्षेप किया था कि जनहित याचिकाकर्ता इस संंबंध में रेलवे की कार्रवाई का इंतजार करे। इससे साफ होता है कि रेलवे को हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करना चाहिए। एक माह बीतने के बाद भी रेलवे की ओर से हाई कोर्ट की मंशा के परिपालन में सटीक कदम न उठाया जाना चिंताजनक है। यह रवैया अवमानना कारक है।