
1. राष्ट्रपति बनते ही अपने पहले संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, देश हित मेरे लिए सबसे ऊपर। उन्होंने कहा, ‘मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे। मेरे इस निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है।’
3. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने जिस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया वो था, कि देश में गरीब भी सपने देख सकता है। उन्होंने मेरा राष्ट्रपति बनना गरीबों के लिए बड़ी उपलब्धि है।
4. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, हम सबके प्रयास से आगे बढ़ेंगे और उज्जवल भविष्य का सपना संजोएंगे
6. द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कोरोना काल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, कोरोना काल में भारत ने दूसरे देशों की मदद की है, जो बताता है कि देश किस सोच और शक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।
8. संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था। सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए ‘धरती आबा’ भगवान् बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी।
रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में नारीशक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी।
10. ‘मैं अपने देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव भी रख रहे हैं. देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा हमेशा आपको पूरा सहयोग रहेगा।’