Saturday, September 27

नहीं मिला मनचाहा स्कूल तो खाली रह गई 50 प्रतिशत सीटें

विदिशा। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत अभिभावकों ने मनचाहे स्कूलों में अपने बच्चों को प्रवेश तो दिलाना चाहा लेकिन मनचाहा स्कूल न मिलने से निराशा हाथ लगी। इन िस्थतियों के रहते आवेदन करने वाले आवेदक भी कम रहे जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन कर भी दिया तो उनमें भी 297 आवेदक को कोई भी स्कूल आवंटित नहीं हुए और ऐसे में कुल 6665 सीटों के विरुद्ध 3603 पात्र आवेदक सत्यापन केंद्र आवेदन सत्यापन कराने पहुँचे जबकि आवंटन सिर्फ 3306 का ही हुआ है,जिससे निजी स्कूलों में प्रवेश से करीब 50 प्रतिशत सीटें खाली रह गई है।

मालूम हो कि शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूल की अच्छी शिक्षा मुफ्त में उपलब्ध कराने के लिए इन स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें इन गरीब बच्चों से भरा जाता है और इन बच्चों की फीस का खर्च सरकार वहन करती है। इस कानून से गरीबों परिवारों में उम्मीदें जागी थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। गत वर्ष अपने बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश दिलाने का अभिभावकों का उत्साह यहां तक रहा कि जिले से 13 हजार आवेदन हुए थे, लेकिन करीब 3520 बच्चों को ही स्कूलों में प्रवेश का मौका मिल पाया था। इस वर्ष अभिभावकों की रुचि घटी जिससे आवेदन भी कुल 4 हजार 65 की संख्या में सिमट गए और इन आवेदनों में भी 3603 आवेदन सत्यापित हुए है।

हो चुकी लॉटरी प्रक्रिया,3306 बच्चों को स्कूलों का आवंटन हुआ

इस प्रवेश प्रक्रिया के आवेदन जमा कराए जाने का क्रम 15 जून से शुरू किया गया था, जो 30 जून तक चलना था बाद में यह तिथि आवेदन के लिए 5 जुलाई की गई और सत्यापन की तारीख भी बढ़ाकर 9 जुलाई कर दी गई थी। अब 14 जुलाई को रेंडम पद्धति से ऑनलाइन लॉटरी के जरिए स्कूल का आवंटन किया जा चुका जिसमें जिले के 3 हजार 306 बच्चे पात्र पाए गए हैं। अब इन आवेदकों को एसएमएस से सूचना मिलेगी और अभिभावकों को पोर्टल से आवंटन पत्र डाउन लोड करके आवंटित स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलाना है। प्रवेश लेते समय ही संबंधित स्कूल को एप के माध्यम से एडमीशन रिपोर्टिंग करना है यह क्रम 23 जुलाई तक चलेेगा।

अभिभावकों के समक्ष यह रही मुश्किलें

अभिभावकोंं की मानें तो शिक्षा के अधिकार कानून में यह विसंगतियां सामने आई कि इसमें जो बच्चा जहां रहा उसके आसपास क्षेत्र का स्कूल उसे आवंटित किया जाना है, लेकिन इसके बाद भी वे समीप के स्कूल को प्राप्त नहीं सके। वजह यह कि उनका मूल निवास गांव का है और बच्चों को पढ़ाने या रोजगार के उददेश्य से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत है उनकी आईडी गांव की रहने से वे अपात्र हो गए। वहीं शहर में वार्डों के क्रमांक बदलने का भी अंतर पड़ा। पहले जिस वार्ड में जो अभिभावक था उस क्षेत्र में कई नामी स्कूल थे, लेकिन अब वार्डों के क्रमांक-बदल जाने से उनकी मनमाफिक शिक्षण संस्था उनके निवास स्थल वार्ड से बाहर हो गई जिससे मनचाहा स्कूल उनके वार्ड क्षेत्र से छिन गया और ऐसे में उन्हें बेहतर स्कूल न मिलने के कारण निराश होना पड़ा। ऐसे में आवेदनों की संख्या भी कम रह गई और शिक्षा के अधिकार कानून के लाभ से वंचित रह गए।

ब्लाकवार यह रही िस्थति
ब्लॉक कुल दर्ज आवेदन सत्यापित आवेदन कूल आवंटन

बासौदा 734 611 580

ग्यारसपुर 210 180 165

कुरवाई 313 271 253

लटेरी 282 234 226

नटेरन 314 303 292

सिरोंज 587 514 481

विदिशा 1626 1490 1309

कुल 4065 3603 3306

वर्जन
अभी प्रक्रिया गतिशील है। अगर एक और मौका मिला तो जो बच्चे रह गए हैं उन्हें भी इस प्रवेश प्रक्रिया का लाभ मिल सकेगा। वार्डों में बदलाव होने व समग्र आइडी वर्तमान निवास स्थान की न होकर अन्य स्थान की होने से भी कम आवेदन व कम आवंटन की िस्थति बनी।

-लक्ष्मणसिंह यादव, बीआरसी, विदिशा