उज्जैन। करीब 600 वर्ष पूर्व श्रद्धालु व क्षेत्रवासी जिस भव्य महाकाल द्वार से श्री महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में आते थे, वही ऐतिहासिक द्वार एक बार फिर बाबा के भक्तों का स्वागत करने अपने पुराने स्वरूप में तैयार हो रहा है। महाकाल द्वार का जिर्णोद्धार अंतिम चरण में हैं। कार्य पूर्ण होने के बाद निकट भविष्य में चौबीस खंबा- हरसिद्धी पाल रोड, महाकाल मंदिर क्षेत्र का प्रमुख मार्ग बन जाएगा। संभव है कि उपयोग के मामले में यह बड़ा गणेश मंदिर के सामने वाले रोड का स्थान ले ले। स्मार्ट सिटी के मृदा प्राजेक्ट अंतर्गत महाकाल मंदिर क्षेत्र में बड़े स्तर पर कार्य हो रहे हैं।
इसी के अंतर्गत दो करोड़ रुपए से अधिक की लागत से प्राचीन महाकाल द्वार का जिर्णोद्धार भी किया जा रहा है। वर्तमान में 80 फीसदी से अधिक काम हो चुका है। कार्य पूर्ण होने के बाद मंदिर के आसपास की व्यवस्था में बड़ा बदलाव होगा। वर्षों बाद इस द्वार का उपयोग शुरू होने पर श्रद्धालु यहां से होते हुए पैदल चौबीस खंबा रोड, रामघाट आ-जा सकेंगे।
इधर बड़ा गणेश मंदिर के सामने वाली रोड भविष्य में महाकाल मंदिर परिसर के हिस्से का ही रूप ले लेगी। वर्तमान में यह मंदिर के नजदीक का पहाल प्रमुख मार्ग है। जब यह परिसर का भाग हो जाएगा, तब संभव है चौबीस खंबा-हरसिद्धी पाल मार्ग इसका स्थान लेकर मंदिर का पहला नजदीकी प्रमुख मार्ग बन जाए। तब मार्ग पर पैदल लोगों की संख्या बढ़ जाएगी। हालांकि यह मुख्य प्रवेश मार्ग नहीं होगा। श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश की मुख्य व्यवस्था रूद्र सागर के नजदीक बन रहे महाकाल कॉरिडोर से ही रहेगी लेकिन चौबीस खंबा मार्ग व्यवस्था बनाने के लिए बड़ा विकल्प जरूर रहेगा।
सावन मास में दर्शन की रहेगी ऐसी व्यवस्था
मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर आशीष सिंह ने बैठकों में चर्चा के दौरान इस बार सावन माह में चलायमान दर्शन व्यवस्था रखने और शीघ्र दर्शन की बात रखी थी। साथ ही गर्भ गृह में हर बार की तरह इस बार भी सावन मास के दौरान किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। महाकाल मंदिर परिसर में पिछले कई दिनों से महाकाल कॉरिडोर का काम जारी है, जहां इसको लेकर अलग-अलग तरह के विकास कार्य मंदिर परिसर में किए जा रहे हैं। इस बार परंपरागत मार्ग से बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलेंगे, जिसको लेकर विशेष तैयारियां की गई है। गौरतलब है कि बाबा महाकाल की सवारी के दौरान बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
इस बार सावन माह का पर्व 14 जुलाई से शुरू हो रहा है, जहां इस पर्व का पहला सोमवार 18 जुलाई को तो वहीं अंतिम सोमवार 12 अगस्त को रहेगा। सावन के प्रत्येक सोमवार पर बाबा महाकाल प्रजा का हाल जानने निकलेंगे, जहां वे चांदी की पालकी में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। इस बार श्रावण और भादौ मास की सवारियां मिलाकर कुल 6 सवारियां निकलेंगी।