विदिशा. बुधवार को हाइवे पर एक युवक की मौत के बाद लाश को घटना स्थल से उठने और फिर पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय तथा मेडिकल कॉलेज के बीच काफी देर तक भटकना पड़ा। पहले मौके पर पहुंची एंबूलेंस ने मृतक को उठाने से इंकार कर दिया, फिर डायल 100 से जिला अस्पताल पहुंचे शव को मेडिकल कॉलेज और मेडिकल कॉलेज से फिर जिला अस्पताल जाने को कह दिया गया। इस बीच लाश यहां से वहां भटकती रही। हालात ऐसे बने कि डायल 100 का स्टॉफ भी चिकित्सकों के रवैये पर झुंझला उठा। बुधवार की दोपहर विदिशा-सागर हाइवे पर धतूरिया मोड़ से थोड़ा आगे अज्ञात वाहन ने बाइक सवार परसूखेड़ी निवासी मिथुन (23 वर्ष) को टक्कर मार दी, जिससे मिथुन की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक की बाइक भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। घटना स्थल पर भीड़ लग गई और फिर किसी ने 108 एंबूलेंस को बुलाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एंबूलेंस आई लेकिन उसने मृतक को ले जाने से इंकार कर दिया। फिर किसी ने डायल 100 को फोन कर बुलाया और डायल 100 की टीम ने आकर मृतक को मौके से उठाकर जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉ आरके साहू मौजूद थे। उन्होंने डायल 100 में ही मिथुन का परीक्षण किया और उसे मृत घोषित कर मेडिकल कॉलेज ले जाने को कह दिया। डायल 100 वाले मृतक के शव को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे, लेकिन उसे वहां शव को उतारने से पहले ही जिला चिकित्सालय जाने को कह दिया। इस पर झंझलाते हुए डायल 100 की टीम वापस जिला अस्पताल आई और फिर डॉक्टर से चर्चा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए मर्च्यूरी में रखवाया। इस तरह पहले घटना स्थल से उठाने और फिर शव को पोस्टमार्टम के लिए भी यहां वहां भटकना पड़ा।
मृत अवस्था में ही युवक को लाया गया था। संभवत: उसके सिर और सीने में गंभीर चोट थी। पोस्टमार्टम के लिए उसे मेडिकल कॉलेज भेजा था, लेकिन जब वहां शव को लेने से इंकार कर दिया तो हमने उसे जिला अस्पताल में ही रख लिया। सुबह पोस्टमार्टम करेंगे। दरअसल जब मेडिकल कॉलेज का अस्पताल चालू है तो पोस्टमार्टम तो वहीं होना चाहिए, क्योंकि उनके पास फॉरेंसिक एक्सर्ट भी हैं। लेकिन पता नहीं वे लोग क्यों बचते हैं।