विदिशा। कृषि विभाग जिले में खाद की पर्याप्त उपलब्धता होना बता रहा लेकिन सोसायटियों में किसानों को खाद नहीं मिल रही है। इससे किसान परेशान है। किसानों का कहना है कि आगामी फसल की बोवनी के लिए उनके खेत तैयार है। बाजार एवं निजी तौर पर वे बीज खरीद चुके। बारिश का इंतजार था जो अब शुरू होने लगी है। कुछ ही दिनों में किसान बोवनी भी करेंगे लेकिन उन्हें सोसायटियों से खाद नहीं मिल रही है।
खामखेड़ा सोसायटी से जुड़े किसान राजकुमार बघेल ने बताया कि उनके क्षेत्र मेंखामखेड़ा, पीपलखेड़ा करीब एक सप्ताह से डीएपी एवं यूरिया नहीं मिल रही। सोसायटियों के कर्मचारी एक-दो दिन में खाद आने की बात कह रहे और किसान परेशान हो रहे है। इसी तरह ग्राम सांकलखेड़ा के किसान भूपेंद्र रघुवंशी का कहना है कि सहकारी समिति कोलिंजा एवं चितौरिया देखखजूरी में करीब एक माह से खाद नहीं है। वहीं सांकलखेड़ा खुर्द सोसायटी में 15 दिन बाद खाद पहुंची है। जबकि यह सोयायटी ग्राम पुरेनिया, बेरखेड़ी, मढि़या, सुल्तनिया आदि करीब 12 गांव से जुड़ी है। यहां करीब 10-12 ट्रक खाद की जरूरत है लेकिन अभी सिर्फ दो ट्रक खाद आ पाई है। अ धिकांश किसान सोसायटियों की कर्ज रा शि चुके और वे डिफाल्टर किसानों में शामिल नहीं फिर भी उन्हें खाद उपलब्ध नहीं कराई जा रही ऐसे में उन्हें बाजार से खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
मालूूम हो कि जिले में मुख्य रूप से सोयाबीन, धान की बोवनी होना है जिसमें युरिया एवं डीएपी खाद की जरूरत पड़ेगी। मुख्य जरूरत डीएपी की है। क्योंकि यह खाद बोवनी के साथ ही उपयोग की जाती है और ऐसे में यह खाद समय पर उपलब्ध नहीं हो पाई तो किसानों की बोवनी प्रभावित होगी। किसानों ने बताया कि वैसे भी बोवनी में गत वर्ष की अपेक्षा देरी हो रही है। अभी बारिश भी ठीक से नहीं हो पा रही। ऐसे में समय रहते सोसायटियों में यह व्यवस्था शीघ्रता से की जाना चाहिए ताकि पर्याप्त बारिश होने पर वे बोवनी कार्य पूरा कर सकें।
3 लाख 20 हजार में होना है सोयाबीन एवं धान की बोवनी
किसानों ने बताया कि इस बार सोयाबीन का रकबा 2 लाख 50 हजार जबकि धान का रकबा 70 हजार हैक्टेयर प्रस्तावित है। इस तरह इन दोनों मुख्य फसल के लिए बोवनी के समय में पर्याप्त डीएपी की जरूरत पड़ेगी लेकिन यह डीएपी बाजार में उपलब्ध है पर सोसायटियों में नहीं मिल रही है। जून माह केे अंत तक बोवनी का कार्य हो सकेगा और इस माह के गुजरने में अब सिर्फ 15 दिन ही शेष है। इस बीच अगर पर्याप्त बारिश हो गई तो बोवनी का कार्य एक साथ गति पकड़ेगा और खाद के लिए किसानों की भागदौड़ एक साथ होने से समस्या आ सकती है। इसलिए समय रहते मांग के अनुसार सोसायटियों में डीएपी की उपलब्धता कराई जाना जरूरी है।
इधर कृ षि विभाग का दावा खाद की कमी नही
वहींं कृ षि विभाग का दावा है कि खाद की कमी नहीं है और इसकी कमी होने भी नहीं दी जाएगी। विभागीय अ धिकारियों के मुताबिक गत वर्ष खरीफ सीजन में सितंबर माह तक युरिया की कुल खपत 14 हजार 215 मैटि्रक टन की हुई थी जबकि इस वर्ष 27 हजार मेटि्रक टन युरिया की उपलब्धता कराई जा रही है। इसमें जून के ही इस माह में अब 11 हजार 732 मैटि्रक टन यूरिया जिले को उपलब्ध हो चुका है। जबकि इसमें 5 हजार 500 मैटि्रक टन अभी बचा हुआ है। वहीं जिले में गत वर्ष 19612 मैटि्रक टन डीएपी की खपत हुई थी जबकि जिले में अभी तक 14763 मैटि्रक टन डीएपी आ चुका और 3 हजार मैटि्रक टन टन की एक रैक चार-पांच दिनों में आने वाली है। वहीं युरिया की भी एक रैक आ रही जो बासौदा पहुंचेगी। इससे से सिरोंज एवं कुरवाई क्षेत्र में इसकी उपलब्धता कराई जाएगी।
वर्जन
किसान खाद की चिंता नहीं करें। खाद की पर्याप्त उपलब्धता है और डबल लॉक में भी खाद उपलब्ध है, जब जैसी जहां जरूरत पडे़गी खाद उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने किसानों से कहा कि वे खाद का भंडारण नहीं करें, क्योंकि बारिश में भंडारण में रखी खाद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि किसान पांच से छह इंच तक बारिश होने का इंतजार करें। जमीन में पर्याप्त नमी आने के बाद ही किसान बोवनी करें।
पीके चौकसे, उप संचालक,कृ षि विभाग