उज्जैन। उज्जैन के चर्चित वीआइपी बन सर्किट हाउस में रुकने और महाकाल के दर्शन के मामले में कोर्ट ने दो साल बाद गुरुवार को फैसला सुनाया। फरवरी 2020 में नेपाल के उपराष्ट्रपति के सांस्कृतिक सलाहकार बनकर स्थानीय सर्किट हाउस में अपने भाई और एक अन्य के साथ ठहरने वाले जयपुर के शातिर ठग और उसके दो साथियों को गुरुवार दोपहर कोर्ट ने 10-10 वर्ष की कैद की सजा और प्रत्येक को 1.65 लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया।
अभियोजन पक्ष के वकील मुकेश जैन ने बताया कि महावीरप्रसाद पिता सत्यनारायण टोरडी निवासी मोतीनगर सोडाला थाना जयपुर ( राजस्थान), कुलदीप पिता महावीर प्रसाद शर्मा व प्रमोद पिता सत्यनारायण शर्मा निवासी जयपुर (राजस्थान) को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश आदेश कुमार जैन ने गुरुवार को सजा सुनाई।
निर्भया केस के वकील ने लगाया था आरोप
फरवरी 2020 में सुर्खियों में आए मामले में तत्कालीन एसपी सचिन अतुलकर पर भी गलत कार्रवाई के आरोप लगे थे। दिल्ली के वकील एपी सिंह ने आरोपियों की तरफ से गृहमंत्री को ज्ञापन सौंप पुलिस पर फर्जी कार्रवाई का आरोप लगाया था। वकील एपी सिंह ने निर्भया केस में आरोपियों की तरफ से पैरवी की थी।
प्रदेश के कई थानों में धोखाधड़ी के केस
आरोपी महावीर प्रसाद टोरडी के खिलाफ मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित कई प्रदेशों में धोखाधडी के केस दर्ज हैं। जयपुर में ही महावीर प्रसाद के खिलाफ 18 केस दर्ज हैं। इनमें धोखाधड़ी, मारपीट व चोरी के अपराध भी शामिल हैं।
यह है मामला : नेपाल सरकार ने की थी धोखाधड़ी की पुष्टि
महावीरप्रसाद टोरडी, कुलदीप शर्मा और प्रमोद शर्मा 31 जनवरी 2020 की रात को नेपाल के उपराष्ट्रपति के सांस्कृतिक सलाहकार और निज सचिव बनकर उज्जैन के सर्किट हाउस में रुके थे। तीनों वीआइपी प्रोटोकॉल के तहत महाकाल के दर्शन करना चाहते थे। स्थानीय पुलिस को शक हुआ तो तीनों की जांच की गई। दस्तावेज भी फ्रॉड पाए गए। आरोपियों के खिलाफ माधवनगर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया। आरोपियों के पास से फर्जी दस्तावेज भी जब्त किए गए। उन्होंने उपराष्ट्रपति नेपाल के नाम से बनवा रखे थे। इन दस्तावेजों की पुष्टि पुलिस ने नेपाल सरकार से कराई थी।