Friday, September 26

महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव की छठी सीट के लिए बीजेपी-शिवसेना ने बनाई खास रणनीति

मुंबई: राज्यसभा की 16 सीटों पर चारा राज्यों में 10 जून को वोट डाले जाएंगे। जिसमें हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र शामिल है। इन जगहों पर एक-एक सीट फंस रही है। जहां सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। महाराष्ट्र की बात करें तो यहां बीजेपी और शिवसेना के बीच सीधी लड़ाई है। हालांकि छठी सीट पर कौन बाजी मारेगा यह फैसला 29 विधायकों के साथ में है। जिसमें 13 निर्दलीय हैं और 16 छोटे दलों से हैं। राज्य में सभी दलों ने अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए सुरक्षित जगहों पर रखा हुआ है।

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों पर चुनाव होने जा रहा है। जिसमें दो सीटें बीजेपी आसानी से जीत रही है। जबकि एक-एक सीट पर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का जीतना तय है। लेकिन मामला छठी सीट पर फंसा हुआ है। जहां शिवसेना से संजय पवार और बीजेपी से धनंजय महाडिक के बीच टक्कर होनी है। इससे पहले शिवसेना ने अपने विधायकों को मढ आईलैंड के होटल रिट्रीट में रखा हुआ है। यहां विधायकों पर नजर रखने के लिए शिवसेना ने होटल के अंदर और बाहर शिवसैनिकों को तैनात किया है। कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को मुंबई में पहुंचने और यहीं रुकने के निर्देश दिए हैं। बीजेपी अपने विधायकों को ताज में रखने वाली है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक उम्मीदवार को लगभग 42 वोटों की जरूरत है। मौजूदा समीकरण को देखे तो भाजपा की विधानसभा में 106 सीटें हैं। इस हिसाब से वह दो सीट बेहद ही आसानी से जीत रही है। इसके अतिरिक्त पार्टी के पास 22 वोट है। ऐसे में छठे उम्मीदवार को जिताने के लिए 7 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन देने की बात कही है। बावजूद इसके यह जीत आसान नहीं है। क्योंकि अब भी उसे 13 वोटों की जरूरत है। खबर है कि बीजेपी ने छोटे दलों के विधायकों से संपर्क किया हुआ है। ऐसे में अगर वे भाजपा को समर्थन करते हैं तो जीत आसान हो जाएगी।
दूसरी तरफ महाविकास आघाडी गठबंधन की बात की जाए तो शिवसेना के 55, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। इस हिसाब से तीनों दल एक-एक सीट आसानी से जीत रहे हैं। फिर भी शिवसेना के 13, एनसीपी के 12 और कांग्रेस के 2 मत बच रहे हैं। यह संख्या 27 हो रही है। इस हिसाब से शिवसेना को छठी सीट पर जीतने के लिए 15 अतिरिक्त वोट चाहिए। जो कि आसान नहीं है।