सुप्रीम कोर्ट ने देश द्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। दरअसल बुधवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान देश की शीर्ष अदातल ने कहा है कि, जब तक पुनर्विचार किया जा रहा है तब तक राजद्रोह कानून यानी 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए। यही नहीं इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि, जो भी लंबित मामले हैं उनपर यथास्थिति रखी जाए, यानी उनको लेकर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाए। जब तक अदालत इस मामले में कोई फैसला नहीं ले लेती है।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में जिन लोगों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं और वो इसी आरोप में जेल में बंद हैं वो जमानत के लिए समुचित अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान राजद्रोह कानून पर रोक लगाने के साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई आगे के लिए टाल दी है। अब इस मामले में सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी।
ऐसे हुई बुधवार को सुनवाई
दरअसल राजद्रोह कानून (Sediton Law) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के मामले में मंगलवार के बाद बुधवार को भी शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई।
इस दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि हमने राज्य सरकारों को जारी किए जाने वाले निर्देश का मसौदा तैयार किया है।
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को ये भी बताया कि पुलिस अधिकारी राजद्रोह के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएंगे।
दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील रखते हुए वकील कपिल सिब्बल ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उन्होंने मांग की है कि राजद्रोह कानून पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है।
वहीं दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे अब IPC के सेक्शन 124A के तहत लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने पर रोक लगाएं।