गंजबासौदा से 18 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत उदयपुर के उदयादित्य महल से बेश कीमती पत्थरों की तस्करी हो रही है। गांव में वीरान पड़े महल से नक्काशीदार बेशकीमती स्टोन आर्टवर्क, टाइल्स और एंटीकुटीज निकालकर देश-विदेश में बेचे जा रहे हैं।
11वीं शताब्दी में बना था महल
पत्थर माफिया लगभग 1000 साल पुराने इस महल में लगे फर्शी पत्थर और छतों की पट्टियों को निकालने में लगे हैं। बता दें कि परमार वंश के राजा उदयादित्य ने 11वीं शताब्दी में उदयपुर में नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर और थोड़ी दूरी पर रहने के लिए महल बनवाया था।
खंडहर में बदल रहा किला
प्रशासन की देखरेख में मंदिर तो सुरक्षित है लेकिन महल आधा खंडहर तब्दील हो गया है। पिछले साल जिला प्रशासन ने महल पर बने हुए अवैध कब्जे को खाली कराया था, इसी महल के अंदरूनी हिस्सों में स्टोन आर्टवर्क पर व्हाइट पेंट की ऐसी मार्किंग मिली है, जो संदेहास्पद है।
आधा महल बेचने की फिराक?
महल की दीवारों और नक्काशी के पत्थरों पर तस्करों ने ए 1, बी 2, सी 4 जैसी मार्किंग की है। जिससे कि पत्थरों को निकालकर दूसरी जगह ले जाकर असेंबल किया जा सके। यानी कि तस्कर आधे महल को ही बेचने की फिराक में थे। वहीं ऊपरी मंजिल के अधूरे हिस्से को देखने से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इसकी छत, खंभों और दीवारों पर लगी स्टोन टाइल्स को खोलकर निकाला गया है। ज्यादातर स्टोन आर्ट वाले पत्थर गायब हैं।
नीलकंठेश्वर मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि वे 40 वर्ष पहले महल में गए थे उस समय जमीन में पत्थरों की टाइल और पूरे महल में नक्काशी के पत्थर थे। लेकिन देखरेख न होने से महल खंडहर हो गया और पत्थर भी चोरी हो गए। पिछले साल गांव से लक्ष्मी नारायण प्रतिमा और देवी प्रतिमा का सिर चोरी हुआ था देहात थाना पुलिस ने चोरी का केस दर्ज किया, पर तलाश के प्रयास नहीं किए।
वहीं उदयादित्य महल को अपनी संपत्ति बताते हुए एक काजी ने अपने नाम का बोर्ड लगा दिया था जिसे प्रशासन ने हटा दिया। नायब तहसीलदार दिनकर चतुर्वेदी ने बताया कि महल को पुरातत्व विभाग को सौंपने की कार्रवाई जारी है, तब तक सुरक्षा के लिए पंचायत की देखरेख में रहेगा।