मध्यप्रदेश बिजली संकट की ओर बढ़ रहा है। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 22,000 मेगावाट बिजली का एग्रीमेंट किया है, लेकिन प्रदेश में जितनी खपत है, उतनी बिजली भी नहीं आ रही। जरूरत 12 हजार मेगावाट की है। मिल रही है 10 हजार मेगावाट। 2 हजार मेगावाट की कमी पूरी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती की जा रही है। यह तब है, जब प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली खपत भी नहीं हो रही है। अक्टूबर-नवंबर में खपत 16,000 मेगावाट तक पहुंच जाती है। फिर संकट क्यों है? क्या मई तक बिजली संकट और गहराएगा? शहरों में भी अघोषित बिजली कटौती होने लगेगी? ये जानने से पहले जानते हैं कि आखिर कटौती की नौबत क्यों आन पड़ी?
कटौती की तीन वजह
- प्रदेश में सिंचाई के साधन बढ़े हैं। जिससे गर्मी में बड़े पैमाने पर सब्जी और उड़द-मूंग की खेती होने लगी है।
- कोविड काल में दो साल उद्योग-धंधे बंद रहे। इस साल छोटे कुटीर-उद्योग धंधे तेजी से काम कर रहे हैं।
- प्रदेश तप भी बहुत रहा है। एसी-कूलर का यूज बढ़ गया है। शहर और कस्बों में बिजली की खपत बढ़ गई है।
पावर मैनेजमेंट का मिसमैनेजमेंट भी जिम्मेदार
MP पावर मैनेजमेंट कंपनी की कमान IAS विवेक पोरवाल के हाथ में है। कोरोनाकाल में शहर-कस्बे में बिजनेस एक्टिविटीज बंद थीं। तब भी बिजली की डिमांड गर्मी में 10 हजार मेगावाट से 12 हजार मेगावाट तक पहुंच रही थी। अप्रैल 2021 की बात करें तो डिमांड 10437 मेगावाट थी। अप्रैल 2022 में डिमांड 12200 मेगावाट पहुंच चुकी है। अब कोविड से उबरने पर उद्योग-धंधे फिर शुरू हो चुके हैं। बिजली की डिमांड बढ़ना भी तय था, लेकिन MP पावर मैनेजमेंट कंपनी इसका अंदाजा ही नहीं लगा सकी।
इन चार वजहों से गहराया बिजली संकट
- MP पावर जनरेटिंग कंपनी को थर्मल प्लांट्स चलाने के लिए रोजाना 12.5 रैक कोयला चाहिए। 8.6 रैक कोयला ही मिल रहा है। औसतन 1 रैक में 4 से 5 हजार मीट्रिक टन कोयला ढुलाई होती है।
- पावर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के हिस्से की 1005 मेगावाट बिजली तो गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दी। कंपनी के यह कहने पर कि हमें बिजली की जरूरत नहीं है। ऊर्जा विभाग ने NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड- यह केंद्र सरकार का बिजली बोर्ड है। इसकी प्रदेश की बिजली में हिस्सेदारी होती है) की खरगोन की 330 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र, शोलापुर की 295 व मोहदा की 380 मेगावाट बिजली गुजरात को दे दी। पूरी गर्मी यानी 30 जून तक MP के हिस्से की बिजली दोनों प्रदेश में जाती रहेगी।
- MP पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 22 हजार मेगावाट बिजली को लेकर एग्रीमेंट किया है। यह बात अलग है कि इतनी बिजली प्रदेश को मिल ही नहीं रही। ऊपर से कंपनी ने मार्च के 31 दिन में 33 करोड़ यूनिट बिजली बेच भी दी। कंपनी हर साल मार्च से अगस्त-सितंबर तक बिजली पावर एक्सचेंज में बेचती है। 1 यूनिट बिजली की कीमत 10 से 12 रुपए कंपनी को मिली। 1 किलोवॉट (1000 वाट) प्रति घंटा का कोई इलेक्ट्रिकल उपकरण 1 घंटे इस्तेमाल करते हैं, तो उससे 1 यूनिट बिजली खपत होती है। 1 मेगावाट में 10,00,000 वाट होते हैं।
- मार्च के 31 दिन में कंपनी ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा को 5 करोड़ यूनिट बिजली दी है। प्रदेश में बिजली की सबसे ज्यादा खपत रबी सीजन में होती है। डिमांड 16 हजार मेगावाट तक पहुंच जाती है। रबी सीजन के लिए कंपनी पावर बैकिंग करती है। यानी रबी के मौसम में कंपनी इतनी ही बिजली वापस ले लेगी। रबी की फसल सामान्यतः अक्टूबर-नवम्बर में बोई जाती है। गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर व सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं।
22 हजार मेगावाट बिजली के एग्रीमेंट में किसका-क्या?
मध्यप्रदेश सरकार ने 22 हजार मेगावाट बिजली का एग्रीमेंट किया है। इसमें NTPC से 8300 मेगावाट बिजली शामिल है। इसी तरह थर्मल पावर के तौर पर 6700, जल विद्युत के तौर पर 3066, विंड से 2416, सोलर से 1560 और अन्य स्रोत से 1 मेगावाट बिजली शामिल है। विंड मिल और सोलर प्लांट की बिजली मौसम पर निर्भर है।
सबसे अत्याधुनिक प्लांट में बिजली उत्पादन क्षमता का आधा भी नहीं
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह 2 और 3 में मप्र शासन की अनुमति के बिना 5 मार्च 2021 और 22 फरवरी 2020 से प्रोडक्शन बंद कर दिया गया है। श्रीसिंगाजी ताप विद्युत गृह-2 में 18 नवंबर 2018 व 28 मार्च 2019 से प्रोडक्शन प्रारंभ हुआ। पर, अभी तक पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो पाया। बावजूद पूर्णता का प्रमाणपत्र जारी कर 300 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है। श्रीसिंगाजी की यूनिट क्रमांक-2 को देश का सबसे अत्याधुनिक जापानी तकनीक पर निर्मित प्लांट बताया जाता है। इसमें 520 ग्राम कोयले की खपत पर 1 यूनिट बिजली उत्पादन होना चाहिए। लेकिन, अभी तक ऐसा रिजल्ट नहीं मिला।
अधिकारियों और विशेषज्ञों का तर्क
MP पावर मैनेजमेंट के MD विवेक पोरवाल के मुताबिक प्रदेश में मेंटेनेंस के चलते बिजली कट रही है। संकट नहीं है। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे के मुताबिक NTPC की बिजली बेचने से कंपनी को 500 करोड़ की बचत होगी। बिजली के जानकार पूर्व इंजीनियर एके अग्रवाल के मुताबिक NTPC की बिजली सरेंडर करने से सिर्फ 190 करोड़ की बचत होगी।
…तो विधायक को CM को लेटर क्यों लिखना पड़ा?
MP पावर मैनेजमेंट के MD मेंटेनेंस का हवाला देकर बिजली कटौती की बात कह रहे हैं। इधर, पाटन विधानसभा से BJP विधायक अजय विश्नोई ने CM शिवराज सिंह चौहान को लेटर में लिखा है कि बिजली प्रोडक्शन कम हो रहा है। उन्होंने लिखा- अगर बिजली कटौती जरूरी ही है तो इसे शेड्यूल कर दिया जाए। विधायक ने अपना इनपुट सरकार को भेजकर बता दिया है कि हालात ठीक नहीं हैं।