रूस के बाद यूरोप के दूसरे सबसे बड़ा देश यूक्रेन पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश रूस और यूक्रेन के बीच टकराव को टालने की कोशिशें कर रहे हैं। दिन रात राजनयिक बैठकें हो रही हैं। लेकिन यूक्रेन सीमा के पास खड़ी एक लाख से अधिक की रूसी फौज ने सिर्फ यूरोप और अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया की सांसें अटका रखी हैं।
यूक्रेन के पश्चिम में यूरोप है और पूर्व में रूस। 1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद से ही इस देश का झुकाव पश्चिम की तरफ रहा है। पूरब के पड़ोसी रूस को ये बर्दाश्त नहीं है और वो इसे अपने प्रभाव के दायरे में लेने के प्रयास करता रहा है।
रूस को लगता है कि पश्चिम यूरोप की तरफ झुका यूक्रेन उसके सुरक्षा और सामरिक हितों के लिए खतरा है। यूं तो तनाव हमेशा से रहा है, लेकिन हाल के महीनों में यु्द्ध के मुहाने तक पहुंच गया है और दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध होने का खतरा मंडराने लगा है।
पूरी दुनिया की नजरें यूक्रेन पर टिकी हैं, लेकिन यूक्रेन में क्या चल रहा है? यही समझने के लिए
नातालिया चर्चित अंतरराष्ट्रीय पत्रकार हैं और सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ हैं। वो पब्लिक इंट्रेस्ट जर्नलिज्म लैब की संस्थापक भी हैं। ये ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ने के पहले पोल में दिए सवाल के जरिए अपना मत भी जरूर दीजिए।
नतालिया के नजरिए से समझिए यूक्रेन के ताजा हालात
यूक्रेन एक बहुत बड़ा देश है, लेकिन रूस के मुकाबले बहुत छोटा है। रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि यूक्रेन की सीमा के नजदीक एक लाख से अधिक रूसी सैनिक तैनात हैं और यूक्रेन पर आक्रमण का खतरा है। लेकिन रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की स्थिति को लेकर यूक्रेन के लोगों का नजरिया वास्तविक है।
बीत आठ सालों में रूस ने अपनी सैन्य ताकत बहुत अधिक बढ़ाई है। लेकिन यूक्रेन भी रूस के आक्रमण का अपनी क्षमता से जवाब देगा। यूक्रेन की सेना अलर्ट पर है। बीते एक महीने के हालात ने यूक्रेन को युद्ध की स्थिति के लिए अधिक तैयार रहने का मौका दिया है।
देश के अहम संस्थानों, क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का कैसे बचाव किया जाए इसे लेकर भी तैयारी है। अगर रूस यूक्रेन में घुसता हैं तो क्षेत्रीय संप्रभुता का बचाव कैसे किया जाएगा, इसकी भी तैयारियां हैं। यूक्रेन ये बात भी समझता है कि यदि उस पर कोई बड़ा हमला होता है तो उसे बचाने के लिए विदेशी सैनिक नहीं लड़ेंगे, बल्कि उसके अपने सैनिकों को लड़ना होगा।
युद्ध का माहौल है। लेकिन अगर हम आम आबादी की बात करें तो आम लोग बहुत शांत हैं। सरकार ने भी अधिकारिक तौर पर लोगों से कहा है कि वो शांत रहें और अपना काम करते रहें।
पिछले 8 सालों से चल रही लड़ाई
हमें ये बात भी समझनी होगी कि यूक्रेन रूस के साथ पिछले आठ सालों से लड़ाई लड़ रहा है। देश के पूर्वी हिस्से में रूस समर्थक अलगाववादी यूक्रेन के खिलाफ लड़ रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके जो मौजूदा हालात हैं, वो नए हैं। ये खतरा हमेशा से था, लेकिन अब ज्यादा बढ़ गया है। लोग इससे बहुत ज्यादा हैरान नहीं हैं।
हालात ऐसे हैं कि लोग अत्यधिक चिंतित होने का खतरा नहीं उठा सकते हैं। वो ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि हालात कैसे हो सकते हैं और उन्हें क्या-क्या तैयारियां करनी हैं।
यूक्रेन के सामने जो संभावित खतरा हो वो बिलकुल स्पष्ट है। सवाल है कि क्या होगा। क्या रूस यूक्रेन पर हवाई हमले करेगा या जमीनी जंग भी छेड़ देगा और यूक्रेन के कुछ शहरों पर कब्जे का प्रयास करेगा या फिर संघर्ष क्षेत्र में लड़ाई को बढ़ा देगा।
कई परिस्थितियों के बारे में सोचा जा रहा है। क्या रूस यूक्रेन के क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला बोलेगा, क्या इंटरनेट काट देगा या कुछ और करेगा। ये सभी सवाल लोगों के सामने हैं।
इन विकट परिस्थितियों में यूक्रेन के लोग बिलकुल शांत हैं। वो जीवटता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों में एक आशावाद या ये कहें कि ये गंभीर आशावाद भी है कि यदि रूस यूक्रेन पर कब्जे की कोशिश करेगा तो प्रतिरोध होगा।
लोग बहुत चिंतित तो हैं, लेकिन उन्हें लग रहा है कि देश पर कब्जा नहीं होगा। लोग नहीं चाहते कि युद्ध हो, लेकिन उनके हाथ में बहुत कुछ नहीं है। यूक्रेन के लोग इस संघर्ष को और आगे बढ़ाना नहीं चाहते हैं।
यूक्रेन की सेना बहुत गुप्त नहीं, बल्कि खुली हुई है
सरकार भी लोगों से संवाद में ये संकेत दे रही है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा और तनाव कम होगा। सरकार लोगों से शांत रहने के लिए कह रही है। यूक्रेन का मुद्दा एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और इसमें दुनिया के कई देश शामिल हैं। सरकार लोगों के संकेत दे रही है कि भले ही ये एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है लेकिन देश की सेना के पास पूरा नियंत्रण है।
सेना कितनी तैयार है? इसका आंकलन करना पत्रकारों के लिए बहुत आसान नहीं है। स्वतंत्र तौर पर सेना की तैयारी का जायजा लेना संभव नहीं है, लेकिन यूक्रेन एक खुला देश है। यूक्रेन की सेना बहुत गुप्त नहीं है, बल्कि खुली हुई है। हमें ये पता है कि सेना भी शांत है और किसी उकसावे का संकेत नहीं दे रही है।
लेकिन इसके बावजूद जनता के पास पूरी जानकारी नहीं है और सरकार से लोग सवाल कर रहे हैं। विपक्ष मांग कर रहा है कि सरकार परिस्थितियों और सेना की तैयारियों के बारे में अधिक जानकारियां जनता को दे और अपना पक्ष अधिक स्पष्ट करे।
एक सच ये भी है कि यूक्रेन की सरकार के पास लोगों को बताने के लिए बहुत कुछ नहीं है, क्योंकि सरकार भी पूरी निश्चितता से ये नहीं बता सकती है कि खतरा कितना बड़ा है और अगर हमला हुआ तो किस पैमाने पर होगा।
हमारे पास पूरी जानकारी नहीं है
ये सच है कि हालात को लेकर हमारे पास पूरी जानकारी नहीं है। ये भी सच है कि आगे क्या होगा इसे लेकर किसी के पास भी पूरी जानकारी नहीं है। संभवतः यूक्रेन को लेकर निर्णय अभी नहीं हुआ है।
जहां तक अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का सवाल है, यूक्रेन के लोग इसका स्वागत कर रहे हैं। यूक्रेन के लोग इस बात को लेकर अधिक चिंतित हैं कि क्या पश्चिमी देश यूक्रेन को अकेला छोड़ देंगे और सफ्येर ऑफ इंफ्लूएंस (प्रभाव का दायरा) के विचार पर सहमत हो जाएंगे।
लेकिन यूक्रेन के लोगों में आम धारणा ये है कि कमजोरी रूस को उत्तेजित करती है। यूक्रेन एक प्रजातांत्रिक देश है और यहां लोगों के मत अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन नाटो के प्रति समर्थन बढ़ रहा है। पश्चिमी देशों से जो रक्षात्मक हथियार मिल रहे हैं, उनका स्वागत किया जा रहा है। कुछ लोग हैं जो चाहते हैं कि स्थिति को शांत किया जाए जबकि कुछ ऐसे हैं जो चाहते हैं कि पश्चिमी देश यूक्रेन को लेकर और सख्त प्रतिक्रिया दें।
मौजूदा राष्ट्रपति रूस से भिड़ना नहीं चाहते
यूक्रेन की सरकार का ये दावा है कि नाटो ने यूक्रेन को लेकर रूस को जो जवाब दिया है, उसमें यूक्रेन की भी सलाह ली गई थी। यूक्रेन के लोग ये कहना चाहते हैं कि ये सिर्फ यूक्रेन का मामला नहीं है। रूस जो मांगें कर रहा है, वो सिर्फ यूक्रेन का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा हैं।
लोगों को ये भी जानना चाहिए कि पिछले कुछ सालों से यूक्रेन की नीति तनाव कम करने की रही है। मौजूदा सरकार एक मध्यमार्गी उदारवादी सरकार है। मौजूदा राष्ट्रपति रूस से भिड़ने के बजाए बात करने का विचार रखते हैं। यहां ये बताना जरूरी है कि यूक्रेन में ऐसी सरकार नहीं है, जो जंग लड़ने पर उतारू है और किसी को उसे शांत करने की जरूरत है।
जहां तक लोगों के आम जीवन का सवाल है वह बिलकुल सामान्य है। किसी भी तरह की आपाधापी या घबराहट नहीं है। लोग छुट्टियों से वापस लौटे हैं और जिंदगी अपनी रफ्तार से चल रही है।
राजधानी कीव में माहौल बिलकुल पहले जैसा है। लोग क्रिसमस की छुट्टियां मनाकर लौटे हैं। कोविड से जुड़ी पाबंदियां हैं, लेकिन बार और रेस्त्रां फुल हैं। स्कूल खुले हैं, टीकाकरण चल रहा है। कीव बिलकुल ऐसा ही है जैसी सर्दियों में किसी भी यूरोपीय देश की राजधानी होती है।