Tuesday, September 23

PAK मीडिया पर ड्रैगन का कब्जा:चीन ने पाकिस्तान में कई वेबसाइट्स और चैनल शुरू किए, प्रोपेगंडा के लिए ग्रुप बनाया

चीन ने इमरान खान सरकार के साथ मिलकर अब पाकिस्तान के मीडिया पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है। इसके लिए चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर बनाया गया है। इसके जरिए चीन की कोशिश पाकिस्तान और दुनिया में अपनी इमेज बेहतर करना है। इसका इस्तेमाल वो वेस्टर्न मीडिया के खिलाफ भी करना चाहता है। एक मीडिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

इस रिपोर्ट में चीन की साजिश का खुलासा इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि बलूचिस्तान के ग्वादर समेत कई शहरों में 20 दिन से हजारों लोग रोज चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के खिलाफ प्रदर्शन कर रह हैं और इंटरनेशनल मीडिया इसे कवरेज दे रहा है।

अवाम की राय पर नजर
चीन की इस हरकत का खुलासा अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन टाइम्स’ ने किया है। रिपोर्ट के मुताबिक- चीन की कोशिश यह है कि वो पाकिस्तान के पूरे मीडिया पर कब्जा कर ले। इसके लिए सितंबर में उसने इमरान खान सरकार के साथ चाइना-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर ग्रुप बनाया है। चीन की पहली कोशिश पाकिस्तान के लोकल मीडिया पर कब्जा करके अपनी इमेज बेहतर करना है। इमरान खान की सरकार मुल्क में महंगाई, विदेशी कर्ज और बेरोजगारी से परेशान है। लिहाजा, वो भी चीन का साथ दे रही है। इसके लिए पाकिस्तान में सरकार का समर्थन करने वाले थिंक टैंक भी बनाए जा रहे हैं। पिछले हफ्ते ऐसे ही एक थिंक टैंक में इमरान ने डेढ़ घंटे लंबा भाषण दिया था।

‘हमारे खिलाफ प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है’
पाकिस्तान में चीन के एम्बेसेडर नॉन्ग रोंग ने कहा- सच्चाई ये है कि पाकिस्तान और चीन दोनों ही प्रोपेगंडा का शिकार हैं। इसलिए ये जरूरी है कि इसके खिलाफ दोनों देशों के मीडिया ग्रुप्स एकजुट हों और मुकाबला करें। इसके जरिए हम सच को सामने ला सकते हैं और लोगों को इंसाफ दिला सकते हैं। इससे क्षेत्र में स्थिरता और शांति आएगी।

जून में हिंदुस्तान की एक रिपोट में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि चीन और पाकिस्तान अल-जजीरा टीवी या रूस के RT नेटवर्क की तर्ज पर चैनल शुरू करना चाहते हैं। इसके लिए जाने-माने पत्रकारों को रखा जाएगा। फंडिंग चीन करेगा।

सच्चाई कुछ और
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के एम्बेसेडर भले ही कुछ भी दावा कर रहे हों, लेकिन सच्चाई ये है कि चीन अब पाकिस्तानी मीडिया के वॉचडॉग के तौर पर काम कर रहा है। उसके हिसाब से न्यूज कंटेंट, प्रजेंटेशन और सेंसरशिप जैसी चीजें तय हो रही हैं। अवाम के रिएक्शन को थिंक टैंक्स और दूसरे सरकारी जरियों से मॉनिटर किया जा रहा है। इसके लिए चीन की एम्बेसी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

इन बातों का सबूत यह है कि चीन के सरकारी मीडिया हाउस अब उर्दू में भी न्यूज और एनालिसिस दे रहे हैं। शिन्हुआ न्यूज एजेंसी, ग्वादर प्रो और चाइना ग्लोबल टीवी नेटवर्क इसके उदाहरण हैं। इमरान खान के दफ्तर में इसके लिए नोडल एजेंसी बनाई गई है। इसमें इन्फॉर्मेशन मिनिस्ट्री और CPEC अथॉरिटी के अफसर शामिल हैं।