Sunday, September 28

ओमिक्रॉन के लिए बूस्टर:भारतीय वैज्ञानिक बोले- 40 साल से ऊपर वालों को लगे बूस्टर डोज; जिन्हें खतरा ज्यादा, फोकस उन्हीं पर हो

कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे के बीच भारत में भी बूस्टर डोज लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। टॉप जीनोम साइंटिस्ट ने कहा है कि 40 साल से ऊपर के लोगों को बूस्टर डोज लगाई जाए। इसमें फोकस उन पर रखा जाए, जिन्हें खतरा ज्यादा है। इंडियन सार्स-कोविड-2 जेनेटिक कंसोर्शियम (INSACOG) के बुलेटिन में बूस्टर डोज की सिफारिश की गई है।

बूस्टर डोज क्यों है जरूरी?
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के माइक्रो वायरोलॉजी विभाग के पूर्व HOD प्रोफेसर डॉ. सत्येंद्र सिंह ने बताया कि जिन लोगों को सेकेंड डोज लिए 6 से 9 महीने हो गए हैं उन्हें बूस्टर डोज देना चाहिए। क्योंकि, 6 से 9 महीने में एंटीबॉडी फॉल पर होती है। यही कारण है कि इन्फ्लुएंजा वैक्सीन जो हम लोग लेते हैं उसका भी एक साल में डोज दिया जाता है।

देश में बूस्टर डोज पर पॉलिसी कब तक?
देश की कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा है कि सरकार गंभीर रोगियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए वैक्सीन की एडिशनल डोज (बूस्टर डोज) पर नई पॉलिसी लाने जा रही है। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAG) इस पॉलिसी को 2 हफ्ते में तैयार करेगा। NTAG देश के 44 करोड़ बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए भी नई पॉलिसी लाने जा रहा है।